प्रारम्भिक बीजगणित
[[File:|238px|बीजगणित]] बीजगणित |
प्रारम्भिक बीजगणित (Elementary algebra) से आशय उस बीजगणित से है जो उन विद्यार्थियों को सिखाया जाता है जिनको गणित में केवल अंकगणित की कुछ जानकारी हो। बीजगणित एवं अंकगणित में सबसे बड़ा अन्तर यह है कि बीजगणित में अंकों के साथ-साथ चरों (variables) का भी प्रयोग किया जाता है (जैसे क, ख, ग, य, र, ल, a, b, x, y आदि)6
चर
[संपादित करें]बीजगणित में अंकों (अज्ञात अंक या परिवर्तनशील अंक आदि) को निरूपित करने के लिये किसी वर्ण (क, ख, य, र आदि) का प्रयोग किया जाता है। इन्हें 'चर' कहते हैं। इनके उपयोग से बहुत लाभ होते हैं-
- चरों के प्रयोग से गणित के सामान्यीकृत नियमों को अभिव्यक्त करने में सुविधा होती है। जैसे a + b = b + a ; a तथा b के सभी मानों के लिये)। यह वास्तविक संख्याओं के गुणों के विधिवत अध्ययन का पहला चरण है।
- ऐसी संख्याओं या मानों के स्थान पर चरों का प्रयोग कर सकते है जिनके मान ज्ञात न हों अर्थात जिनके मान ज्ञात करने हों। इस प्रकार बीजगणित में समीकरण का जन्म होता है। जैसे - ऐसी संख्या (x) बताओ जिसमें ३ से गुणा करके २ जोड़ने पर परिणाम १० आये ; अर्थात् ३.य + २ = १० .
पार्स नहीं कर पाये (सर्वर 'http://localhost:6011/hi.wikipedia.org/v1/' से अमान्य लेटेक्सएमएल उत्तर ('Math extension cannot connect to Restbase.')): {\displaystyle <math>*{{official|== इन्हें भी देखें==<references/>}}} </math>
- चरों के प्रयोग से दो या अधिक राशियों के बीच गणितीय संबन्धों की छानबीन करने की सुविधा मिलती है। उदाहरण के लिये, यदि आप x टिकट बेचेंगे तो आपको 3x − 10 रूपये का लाभ होगा।
बीजीय ब्यंजक (Algebraic expressions)
[संपादित करें]बीजीय ब्यंजकों में संख्याएँ तथा चर विभिन्न संकर्मों (आपरेटर, जैसे गुणा, योग, भाजन, घटाना आदि) द्वारा जुड़े होते हैं। बीजगणित में ब्यंजकों को सरल करना, उनका आपस में गुणा, भाग, योग आदि करना, ब्यंजकों का मान निकालना (चर के किसी दिये हुए मान के लिये), ब्यंजकों का गुणनखण्डन आदि तरह-तरह के कार्य करने पड़ते हैं। दो ब्यंजकों के समान होने की दशा (समीकरण) में ब्यंजक में उपस्थित चर को 'अज्ञात' राशि कहते हैं; समीकरण बनाना एवं हल करना - बीजगणित का सबसे महत्वपूर्ण क्रिया एवं उपयोग है।
संक्रियाएँ
[संपादित करें]संक्रियाओं के गुण
[संपादित करें]Operation | Is Written | क्रमविनिमेय (commutative) | साहचर्य (associative) | identity element | व्युत्क्रम संक्रिया (inverse operation) |
---|---|---|---|---|---|
योग (Addition) | a + b | a + b = b + a | (a + b) + c = a + (b + c) | 0, which preserves numbers: a + 0 = a | घटाना (-) |
गुणन (Multiplication) | a × b or a • b | a × b = b × a | (a × b) × c = a × (b × c) | 1, which preserves numbers: a × 1 = a | Division (/) |
घात (Exponentiation) | ab | Not commutative | Not associative | 1, which preserves numbers: a1 = a | लघुगणक (Log) |
- The operation of addition...
- has an inverse operation called subtraction: (a + b) − b = a, which is the same as adding a negative number, a − b = a + (−b);
- The operation of multiplication...
- means repeated addition: a × n = a + a +...+ a (n number of times);
- has an inverse operation called division that works for non-zero numbers: (ab)/b = a, which is the same as multiplying by a reciprocal, a/b = a(1/b);
- distributes over addition: (a + b)c = ac + bc;
- is abbreviated by juxtaposition: a × b ≡ ab;
- The operation of exponentiation...
- means repeated multiplication: an = a × a ×...× a (n number of times);
- has an inverse operation, called the logarithm: alogab = b = logaab;
- distributes over multiplication: (ab)c = acbc;
- can be written in terms of n-th roots: am/n ≡ (n√a)m and thus even roots of negative numbers do not exist in the real number system. (See: complex number system)
- has the property: abac = ab + c;
- has the property: (ab)c = abc.
- in general ab ≠ ba and (ab)c ≠ a(bc);