प्रवेशद्वार:केरल/चयनित लेख

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
चित्र:46-krishnanattam.jpg

17वीं शताब्दी के केरल के मानवेदन नामक सामूतिरि राजा द्वारा प्रस्तुत दृश्यकला कृष्णनाट्टम कहलाती है । मानवेदन ने श्रीकृष्ण कथा को आधार बनाकर संस्कृत में 'कृष्णगीति' नामक दृश्यकाव्य की रचना की थी। यह कथा अभिनय की दृष्टि से भी श्रेष्ठ थी । इसके अंतर्गत अवतारम्, कालिय मर्दनम्, रासक्रीडा, कंसवधम्, स्वयंवरम्, बाणयुद्धम्, विविधवधम्, स्वर्गारोहणम् नामक कथाएँ आती हैं, जिनकी प्रस्तुति आठ दिनों तक चलती है ।

कृष्णनाट्टम में नृत्त प्रधान अभिनय का महत्व है । कृष्णनाट्टम में लोक नृत्य परम्परा का प्रभाव लक्षित होता है । गायक श्लोक और पद गाते हैं और अभिनेता उनकी ताल - लय पर नृत्य को प्रधानता देते हुए अभिनय करते हैं । इस की प्रस्तुति में टोपी मद्दल, शुद्ध मद्दल, इडक्का आदि वाद्यंत्रों का प्रयोग होता है । टोपी मद्दल सात्विक वेषों की प्रस्तुति के लिए तथा शुद्ध मद्दल आसुरू वेषों की प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं । चेम्पटा, चेम्पा, अटन्ता, पंचारि आदि तालों पर किया जानेवाला नृत्य 'कृष्णनाट्टम' की विशेषता है । [पूरा पढ़ें]