प्रयाग की साहित्यिक पत्रकारिता
प्रयाग की साहित्यिक पत्रकारिता हिन्दी गद्य के विकास काल में जिसमें आधुनिकता प्रमुख प्रेरक तत्त्व के रूप में विद्यमान थी, साहित्य के दो केन्द्र काशी और प्रयाग प्रमुखता से देखे जा सकते हैं। रचनात्मकता और आलोचनात्मकता दोनों के विशिष्ट रूपों का विकास इन दोनों केद्रों पर गंभीर रूप से हुआ। विभिन्न साहित्यिक आंदोलनों की शुरुआत इन्हीं दोनों प्रमुख केंद्रों से हुई। इन दोनों केंद्रों में से एक 'प्रयाग की साहित्यिक पत्रकारिता' के अध्ययन की दृष्टि से यह अध्ययन एक महत्वपूर्ण कार्य है। लेखक डॉ. बृजेन्द्र अग्निहोत्री ने प्रयाग की संपूर्ण साहित्यिक पत्रकारिता की गंभीर विवेचना प्रस्तुत कृति में प्रस्तुत की है। कृति में प्रयाग से प्रकाशित हुईं समस्त पत्र-पत्रिकाओं को सूचीबद्ध करके कृतिकार ने आगे के अध्येताओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। प्रस्तुत कृति की एक खास विशेषता यह है कि इस कृति में स्वातंत्र्योत्तर समय के परिवर्तनों को उस युग में घटित होने वाले आपातकाल, नक्सलवादी आंदोलन, किसानों, आदिवासियों, दलितों के आंदोलन और साहित्य में उसके प्रभावों को गंभीरतापूर्वक परखा गया है। इन जनांदोलनों ने साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से हिन्दी साहित्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया था, जिसका इस कृति में सम्यक विवेचन किया गया है। समग्रत: प्रयाग को केन्द्र में रखकर साहित्य में पत्रकारिता के योगदान को जानने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण कृति है। -डॉ. हितेंद्र मिश्र