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पृथक्कारक कीप

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दो कीप: A- शंक्वाकार, B - बेलनाकार।

पृथक्कारक कीप प्रयोगशाला काचपात्र का एक भाग है जिसका प्रयोग तरल-तरल निष्कर्षण में मिश्रण के घटकों को भिन्न घनत्व के दो अमिश्रणीय विलायक चरणों में पृथक्करण हेतु किया जाता है। [1] आमतौर पर, चरणों में से एक जलीय होगा, और दूसरा एथर, मिथाइल टर्ट-ब्यूटाइल इथर, डाइक्लोरोमेथेन, क्लोरोफॉर्म, या एथिल एथनोएट जैसे वसास्नेही कार्बनिक विलायक होगा । ये सभी विलायक दो तरल पदार्थों के बीच एक स्पष्ट रेखा बनाते हैं। [2] अधिक सघन तरल, प्रायः जलीय चरण, जब तक कि कार्बनिक चरण हैलोजन न हो, कीप के नीचे तक डूब जाता है और कम घने तरल से दूर एक वाल्व के माध्यम से बाहर निकाला जा सकता है, जो पृथक्कारक कीप में रहता है। [3]

विभेदी निष्कर्षण

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इस विधि की सहायता से कार्बनिक यौगिक को उसके जलीय विलयन में से ऐसे कार्बनिक विलायक द्वारा निष्कर्षित किया जाता है, जिसमें कार्बनिक यौगिक की विलेयता जल की अपेक्षा अधिक होती है। जलीय विलयन तथा कार्बनिक विलायक अमिश्रणीय होने चाहिए, ताकि वे दो परत बना सकें, जिन्हें पृथक्कारक कीप द्वारा पृथक् किया जा सके। तत्पश्चात् यौगिक के विलयन में से कार्बनिक विलायक को आसवन द्वारा दूर करके शुद्ध यौगिक प्राप्त कर लिया जाता है। विभेदी निष्कर्षण एक पृथक्कारक कीप में किया जाता है। कार्बनिक विलायक में यौगिक की विलेयता अल्प होने की दशा में इस विधि में विलायक की काफी मात्रा की आवश्यकता पड़ेगी। इस दशा में एक परिष्कृत तकनीक का उपयोग हम करते हैं, जिसे सतत निष्कर्षण कहते हैं। इस तकनीक से उसी विलायक का उपयोग बार-बार होता है।

सन्दर्भ

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  1. "Use of Separating Funnel, A Separation of Mixtures Process | Tutorvista.com". मूल से से 2010-12-09 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 2016-12-12.
  2. "Archived copy" (PDF). मूल से (PDF) से 2012-04-25 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 2011-11-17.{{cite web}}: CS1 maint: archived copy as title (link)
  3. Padìas, Anne B. (2011). Making the Connections2: A How-To Guide for Organic Chemistry Lab Techniques.Plymouth, Michigan: Hayden-McNeil Publishing, p. 129.