पूर्व माध्यमिक विद्यालय नाउरदेउर

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पूर्व माध्यमिक विद्यालय नाउरदेउर की स्थापना राज्य सरकार द्वारा १९३३ में की गयी थी। तब से यह विद्यालय शिक्षा क्षेत्र में अतुल्य योगदान दे रहा है।

पता:- ग्राम-नाउरदेउर, पोस्ट-डंवरपार, क्षेत्र:-कौड़ीराम, जिला :- गोरखपुर, उत्तर प्रदेश (भारत) पिन:- २७३०१६

उद्देश्य:-शिक्षा का प्रसार करना

संस्था:- बेसिक शिक्षा परिषद

(इं0) प्रधानाध्यापक:- श्री योगेन्द्र नारायण शुक्ल

सहायक अध्यापक:- श्री यशोदेव रॉय(गणित)

अनुचर:-श्री रामाश्रय जैसवाल

छात्र संख्या:-८५

दलनायक:-अभिषेक

दलनायिका:-दिव्या कुमारी

पुस्तकालय:-सहज पुस्तकालय

समाचार पत्र:-नन्ही पाखी/धनक

ध्येय वाक्य:-"'असतो मा सद्गमय"'

विशेष:-

१:-विद्यालय में ९०% उपस्थिति

२:-१० टोलियों का निर्माण

३:-टोलियों द्वारा अलग अलग प्रार्थनाएं

४:-सभी छः दिन अलग अलग प्रार्थनाएं होती हैं

५:-प्रतिदिन PT और योग होता है

६:-जो टोली प्रार्थना कराती है वही थाली धुलकर बच्चों में बांटती है।

७:-प्रतिदिन रुचिकर मध्याह्न भोजन बनता है।

८:-दुग्ध और फलवितरण समय सारणी अनुसार होता है।

९:-बच्चे मन्त्रोच्चार के पश्चात ही भोजन करते हैं।

१०:-प्रत्येक सप्ताह परीक्षा ली जाती है।

११:-अभिभावकों के साथ बैठक की जाती है।

१२:-नए नए प्रयोगों द्वारा शिक्षा दी जाती है।

१३:-विभिन्न टी एल एम् का प्रयोग होता है।

१४:-विद्यालय परिसर स्वच्छ और सुंदर है।

१५:-विद्यालय में सभी विद्यार्थी अनुशासित और मृदुभाषी है।

क्रियाकलाप:-

२१/०२/२०१७

जिला स्तरीय जल संरक्षण प्रतियोगिता 

पूर्व माध्यमिक विद्यालय नाउरदेउर के बच्चों ने खुली हुई टूटी और जल के एक बूँद के 3D चित्र के माध्यम से उकेरी कागज पर ज़िन्दगी, उनका यह मानना है कि हर बूँद में ज़िन्दगी बसी है।

नक्षत्रशाला में कार्यरत डॉक्टर ए0पी0 सिंह जी ने बच्चों को #स्काई_वॉचर के माध्यम से न केवल सूर्य की लपटे और सूर्य पर धब्बे दिखाये, बल्कि निहारिकाओं को भी बच्चों ने देखा।

Wonder of Unverse में जाना ब्रह्माण्ड के कुछ रहस्य और नक्षत्रशाला में बने डिजिटल गेम खेले, प्रकाश संग लगाई दौड़,ग्रहो की परिक्रमा निहारी, जल, सूर्य, प्लवन आधारित घड़िया देखी, प्रागैतिहासिक काल के तारों की उकेरे चित्र देखे, चार्ट्स से जाना अभिव्यक्ति का रूप और अलग अलग खगोलशास्त्रियों के सौर मंडल मॉडल को भी जाना।

बौद्ध संग्रहालय पर बच्चों ने जैन धर्म, बौद्ध धर्म की प्राचीन मूर्तियां देखी और साथ ही देखा हज़ारों साल पुराने मृत्तिका, प्रस्तर और धातु से बनी मूर्तियां, शिल्प, शस्त्र और आहत सिक्के। देवी देवताओं की मूर्तियों से जाना धर्म का प्रभाव और थंका विधा जैसी तमाम शैलियों के चित्रों से रूबरू भी हुए।

सन्दर्भ[संपादित करें]