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परमदानव तारा

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परमदानव तारे वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का अर्धव्यास (रेडियस) क़रीब २००० है, यानि सूरज का दो हज़ार गुना - यह सब से बड़ा ज्ञात तारा है
तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र

परमदानव तारा एक अत्यधिक द्रव्यमान (मास) और चमक वाला तारा होता है जिस से लगातार गैस, प्लाज़्मा और अन्य द्रव्य बड़ी मात्राओं में अंतरिक्ष में उछलते रहते हैं। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "0" है (यानि सारे तारों में सब से अधिक)।

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"परमदानव तारे" को अंग्रेज़ी में "हाइपरजाएंट स्टार" (hypergiant star) कहा जाता है।

परमदानव तारा कहलाने के लिए किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान (चमक) को -७ मैग्निट्यूड से अधिक होना चाहिए (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है) और बहुत ही भीमकाय होना चाहिए। जिन तारों का गैसमंडल बहुत विशाल होता है उनके वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) में ६५६.२८ नैनोमीटर के तरंग दैर्घ्य (वेवलॅन्थ़) पर Hα नाम की एक लकीर शामिल होती है जो हाइड्रोजन गैस की एक विशेष उत्तेजना से पैदा होती है। इसलिए वैज्ञानिक परमदानवों की पहचान के लिए उनकी चमक और Hα की मौजूदगी की परख करते हैं।[1]

परमदानवों में सूरज से १००-२६५ गुना द्रव्यमान होता है, यानि १००-२६५ M का द्रव्यमान होता है। उनकी चमक सूरज की चमक से लाखों-करोड़ों गुना ज़्यादा होती है। अलग-अलग परमदानवों का सतही तापमान एक दुसरे से बहुत भिन्न होता है और ३,५०० कैल्विन से लेकर ३५,००० कैल्विन तक हो सकता है। परमदानव अंदरूनी रूप से अस्थाई होते हैं इसलिए उनकी चमक समय के साथ-साथ बदलती रहती है। इतना अधिक द्रव्यमान होने से उनकी उम्र भी कम होती है - जहाँ हमारे सूरज (जो एक मुख्य अनुक्रम का बौना तारा है) को १० अरब साल की आयु मिली है वहाँ महादानव तारे कुछ दसियों लाख साल ही जीते हैं। इतनी कम आयु के कारण परमदानव तारे बहुत कम ही मिलते हैं।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. C. de Jager (1998). "The yellow hypergiants". Astronomy and Astrophysics Review. 8 (3): 145–180. डीओआइ:10.1007/s001590050009. बिबकोड:1998A&ARv...8..145D.