पगमार्क्स
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पगमार्क वह शब्द है जो की बहुत से जानवरों के पैरो के निशान के लिए बोला जाता है! सभी जानवरों का पगमार्क और पद चिन्ह अलग-अलग होता है तो यह उनको एक दुसरे से विशेष बनता है और उनकी पहचान में भी मदद करता है!
पद चिन्ह की विशेषताए:-
- पगमार्क और पदचिन्ह से जानवरों के लिंग, उनकी जाती, उम्र और उनकी शारीरिक स्थिति का पता लगाने में भी मदद करता है!
- पद चिन्ह से हम किसी भी जानवर के होने या न होने का अनुमान लगा सकते है!
- यह किसी भी जानवर के होने का साक्षी होते है!
- भारत में पगमार्क ट्रेसिंग और इनका विश्लेषण किया जाता है और वो भी बाघ के लिए! बाघ के पद चिन्ह ढूंढे जाते है और उनका विश्लेषण करके पता लगाया जाता है की वह किस लिंग के है, और उस बाघ की उम्र क्या है!
बाघ के पदचिन्ह का सांचा बनाया जाता है और उच्च स्तर पर विश्लेषण करके यह पता किया जाता है की वो मादा बाघ के पद चिन्ह है या न्र बाघ के! और फिर उन सबका रिकॉर्ड रखा जाता है! बाघ के पदचिन्ह से हम उनके होने की गिनती का रिकॉर्ड रख सकते है जिससे की हम यह जान सकते है की कितने बाघ अब बचे हुए है!
पदचिन्ह का संकलन
[संपादित करें]पद चिन्ह का संकलन हम २ प्रकार से क्र सकते है:-
- पदचिन्ह से थोड़ी दुरी पर शीशा रखकर उसका चित्र बनाया जाता है जो की पदचिन्ह और पुग्मार्क की चांप बन जाता है! इस पद चिन्ह के स्केच से उसका विश्लेषण और पहचान की जा सकती है!
- दूसरा प्रकार जिससे पद चिन्ह का संकलन किया जाता है, उसका ढांचा बनाके! ढ़ांच बनाने के लिए चुना इस्तेमाल किया जाता है वैज्ञानिक तरीके से! ढांचा बनाने के लिए चुने को पानी में मिलाया जाता है और पतला घोल बनाया जाता है और उसे पदचिन्ह पर डाला जाता है! कुछ समय तक धुप लगवाने के बाद घोल सख्त हो जाता है और उस पदचिन्ह का ढांचा बन जाता है! ढांचा बनाना एक अभियुक्त साक्ष्य होता है जो की भुत अच परिणाम देने में मदद करता है!
इस प्रकार से पदचिन्ह का संकलन किया जाता है और यह पहचान करके उस पदचिन्ह का रिकॉर्ड बनाने में मददगार है! [1]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Singh, L. A. K. (2000): Tracking Tigers : Guidelines for Estimating Wild Tiger Population Using the Pugmark Technique. (Revised Edition). WWF Tiger Conservation Programme, New Delhi.