पंचाचार्य
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पंचाचार्य (पूर्व में चतुराचार्य) भारत के धार्मिक व्यक्ति हैं। पंचाचार्य का अर्थ पांच आचार्य अर्थात् पांच ऋषियों से हैं जिनमें रेणुकाचार्य, दारुकाचार्य, एकोरम, पंडिताराध्य और विश्वराध्य शामिल हैं। उनकी प्रतीमा शिवलिंग पर खड़ा ऋषि होता है। ये पांच मठों में विराजमान हैं जिन्हें वीरा (रंभपुरी), अद्धर्म (उज्जैनी), वैराग्य (केदार), सूर्य (श्रीशिलम) और ज्ञान (काशी) के नाम से जाना जाता है। रेणुकाचार्य को पहली बार शिवयोगी शिवाचार्य द्वारा रचित 15वीं सदी के संस्कृत भाषा के ग्रंथ सिद्धान्त शिखाणि में मिलता है। इसे पांच पीठों के लिए पवित्र ग्रंथ माना जाता है।[1]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ दासगुप्ता (1955-01-02). A History of Indian Philosophy: Volume 5 (अंग्रेज़ी भाषा में). कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. pp. 46–47. ISBN 978-0-521-04782-1.
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