नेल्स हेनरिक एबल
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नेल्स हेनरिक एबल (Niels Henrik Abel ; १८०३-१८२९ ई.) नार्वे के गणितज्ञ थे।
एबल पुरस्कार की शुरुआत 23 अगस्त 2001 में नॉर्वे के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञ “नील्स हेनरिक एबल” के सम्मान में हुई थी। तब से ही नॉर्वे सरकार द्वारा हर साल एक या एक से अधिक गणितज्ञों को दिया जाता है। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति “जीन पियरे सेर्रे” थे, जिन्हें साल 2003 में गणित के कई हिस्सों जैसे टोपोलॉजी, बीजीय ज्यामिति और संख्या सिद्धांत को आधुनिक रूप देने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स ने गणितज्ञ रॉबर्ट लांगलैंड्स को 2018 के लिए एबल पुरस्कार से सम्मानित किया है।उन्हें रिप्रेसेंटेशन थ्योरी से नम्बर थ्योरी को जोड़ने को अपने दूरदर्शी प्रोजेक्ट में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित किया गया।
गणित में एबल पुरस्कार विजेताओं के नाम,वर्ष और उपलब्धि की सूची-
क्र.सं. | वर्ष | विजेता का नाम | उपलब्धि | विजेता देश का नाम |
15 | 2018 | रॉबर्ट लांगलैंड्स | रिप्रेसेंटेशन थ्योरी से नम्बर थ्योरी को जोड़ने को अपने दूरदर्शी प्रोजेक्ट के लिए। | कनाड़ा |
14 | 2017 | यवेस मेयर | तरंगिकाओं (छोटे लहरों) के गणितीय सिद्धांत के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए। | फ़्रांस |
13 | 2016 | एंड्रयू विल्स | अर्द्ध-स्थायी (semi stable) दीर्घवृत्तीय वक्र के लिए मॉड्युलरिटी अनुमान के माध्यम से फर्मट के अंतिम प्रमेय के शानदार प्रमाण के द्वारा संख्या सिद्धांत में एक नए युग की शुरूआत करने के लिए। | यूनाइटेड किंगडम |
12 | 2015 | जॉन एफ नैश, जूनियर लुई निरेनबर्ग | ज्यामितीय विश्लेषण के लिए गैररेखीय आंशिक अंतर समीकरणों के सिद्धांत और उनके अनुप्रयोगों में अभूतपूर्व और मौलिक योगदान देने के लिए। | संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा |
11 | 2014 | याकॉव सीनाई | गतिशील प्रणालियों, एर्गोडिक सिद्धांत और गणितीय भौतिकी के क्षेत्र में मौलिक योगदान देने के लिए। | रूस / संयुक्त राज्य अमेरिका |
10 | 2013 | पियरे डेलिग्ने | बीजीय रेखागणित और संख्या सिद्धांत पर उसके परिवर्तनकारी प्रभाव, प्रतिनिधित्व सिद्धांत और संबंधित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए। | बेल्जियम |
9 | 2012 | एंड्रे ज़ेमेरेडी | असंतत गणित और सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान में योगदान के लिए और योज्य/संकलन (additive) संख्या सिद्धांत और एर्गोडिक सिद्धांत (ergodic theory) पर इन योगदानों के गहरा और स्थायी प्रभाव की पहचान करने के लिए। | हंगरी / संयुक्त राज्य अमेरिका |
8 | 2011 | जॉन मिलनॉर | टोपोलॉजी, ज्यामिति और बीजगणित में उल्लेखनीय खोजों के लिए। | संयुक्त राज्य अमेरिका |
7 | 2010 | जॉन टेट | संख्याओं के सिद्धांत पर अपने विस्तृत और स्थायी प्रभाव के लिए। | संयुक्त राज्य अमेरिका |
6 | 2009 | मिखाइल ग्रोमोव | ज्यामिति में क्रांतिकारी योगदान देने के लिए। | रूस / फ्रांस |
5 | 2008 | जॉन जी थॉम्पसन, जैक्स टिट्स | बीजगणित में गहन उपलब्धियों के लिए और विशेष रूप से आधुनिक समूह सिद्धांत को आकार देने के लिए। | संयुक्त राज्य अमेरिका,फ्रांस |
4 | 2007 | एस. आर. श्रीनिवास वर्धन | प्रायिकता सिद्धांत में योगदान देने के लिए और विशेष रूप से बड़े विचलन के एक एकीकृत सिद्धांत बनाने के लिए। | भारत /संयुक्त राज्य अमेरिका |
3 | 2006 | लैनर्ट कार्लसन | हार्मोनिक विश्लेषण और चिकनी गतिशील प्रणालियों के सिद्धांत के लिए उनके गहन और महत्वपूर्ण योगदान के लिए। | स्वीडन |
3 | 2005 | पीटर लैक | आंशिक विभेदक समीकरणों के सिद्धांत तथा उनके कार्यान्वयन के लिए और इन समीकरणों की गणना हेतु महत्वपूर्ण योगदान के लिए। | हंगरी /संयुक्त राज्य अमेरिका |
2 | 2004 | माइकल अतियाह और इसाडोर सिंगर | सूचकांक प्रमेय की खोज और प्रमाण के लिए, टोपोलॉजी, ज्यामिति और उसके विश्लेषण को एक साथ लाने के लिए तथा गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु उनकी उत्कृष्ट भूमिका के लिए। | यूनाइटेड किंगडम,संयुक्त राज्य अमेरिका |
1 | 2003 | जीन पियरे सेर्रे | गणित के कई हिस्सों जैसे टोपोलॉजी, बीजीय रेखागणित और संख्या सिद्धांत के आधुनिक रूप को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए। | फ्रांस |
परिचय
[संपादित करें]नेल्स हेनरिक एबल का जन्म २५ अगस्त १८०३ ई. को हुआ। इनकी शिक्षा क्रिस्टिआनिया विश्वविद्यालय (ऑसलो) में हुई। १८२५ ई. में राजकीय छात्रवृत्ति पाकर ये गणित-अध्ययन के लिए जर्मनी और फ्रांस गए, परंतु आर्थिक कारणों से १८२७ ई. में इन्हें नार्वे लौटना पड़ा और वहाँ पर ६ अप्रैल १८२९ ई. को केवल २६ वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। इतने अल्प समय में भी गणित को आबेल ने अपूर्व देन दी है।
समीकरणों के सिद्धान्त में इन्होंने पंचघातीय व्यापक समीकरण के हल की असंभवता सिद्ध की; यह ज्ञात किया कि बीजगणित की सहायता से कौन-कौन से समीकरण हल किए जा सकते हैं और उस समीकरण को हल करने की विधि प्रदान की जिसे अब 'एबल का समीकरण' कहा जाता है। फलनों के सिद्धांत में इन्होंने दीर्घवृत्तीय फलनों (जिन्हें अब एबल के फलन कहते हैं) पर अनेक महत्वपूर्ण अनुसंधान किए। समाकलन (इन्टीग्रल कैलकुलस) में इनकी प्रसिद्ध देन वे अनुकल हैं जो अब 'एबल के अनुकल' कहलाते हैं। एबल के अति दीर्घवृत्तीय अनुकल इन्हीं के विशिष्ट रूप हैं।
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