नीरा आर्य स्मारक

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नीरा आर्य की प्रतिमा

आजाद हिन्द फौज की सेनानी वीरांगना नीरा आर्य के जन्म स्थान बागपत के खेकड़ा की पट्टी गिरधरपुर में उनके नाम पर नीरा आर्य स्मारक[1]एवं पुस्तकालय बनाया गया है।[2]इस स्मारक एवं पुस्तकालय की स्थापना साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा एवं मधु धामा ने व्यक्तिगत रूप से 70 लाख रुपए खर्च करके की है। यहां नीरा आर्य की प्रतिमा के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाली सीताकौर देवी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। दो मंजिला इस स्मारक में नीचे प्रतिमा एवं पुस्तकालय बनाया गया है और ऊपरी मंजिल पर गरीब लड़कियों को निशुल्क सिलाई सिखाने की व्यवस्था की गई है। पुस्तकालय में सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक पुस्तकों के साथ-साथ साहित्य से संबंधित पुस्तकें एवं दर्जनों ऐतिहासिक महत्व की पत्रिकाओं के दुर्लभ अंक भी संग्रहित किए गए हैं। ऐसी 16 पुस्तकें भी पुस्तकालय में हैं, जिनमें नीरा आर्य के जीवन के अनेक प्रसंग दिए गए हैं। इस पुस्तकालय में बागपत जिले के सभी 300 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र एवं आजादी की जंग में उनके योगदान को दर्शाने वाले फोटो फ्रेम में लगाए गए हैं। इसी के साथ गोबिंद बल्लभ पंत, मैथिलीशरण गुप्त, हरिवंश राय बच्चन, पंडित नेहरू एवं नेताजी सुभाष के हाथ के लिखे हुए कई मूल पत्र भी इस पुस्तकालय में रखे गए हैं। पुस्तकालय को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले छात्रों के साथ-साथ आम पाठकों और शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी बनाया गया है, इसमें हर प्रकार की पुस्तकें संग्रहित की गई हैं।[3] गौरतलब है कि नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च, 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में हुआ था। वर्तमान में खेकड़ा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बागपत जिले का एक शहर हैं। इनकी शादी ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के संग हुई थी। श्रीकांत जयरंजन दास अंग्रेज भक्त अधिकारी था। इन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अफसर अपने पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी। पति को मारने के कारण ही नेताजी ने उन्हें 'नागिनी' कहा था। आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया लेकिन पति की हत्या के आरोप में नीरा आर्य को काला पानी की सजा हुई, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गईं। यह संस्थान नीरा आर्य के नाम पर प्रतिवर्ष एक पुरस्कार भी प्रदान करता है। पंचम नीरा आर्य पुरस्कार स्वामी महेश योगी को दिया गया।[4]रामचंद्र वैदिक गुरुकुल के कुलपति स्वामी महेश योगी को नीरा आर्य सम्मान के तहत 11 हजार रुपए एवं प्रशस्ति पत्र दिया गया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "नीरा आर्या का खेकड़ा में बनेगा स्मारक और संग्रहालय". www.amarujala.com. अमर उजाला. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2022.
  2. "पहली महिला जासूस नीरा आर्य का स्मारक बनकर तैयार". ddnews.gov.in. डीडी न्यूज. अभिगमन तिथि 16 जनवरी 2024.
  3. "देश की पहली महिला जासूस को मिला सम्मान". panchjanya.com. पांचजन्य. अभिगमन तिथि 27 जनवरी 2024.
  4. "महिला जासूस का स्मारक उद्घाटित, महेश योगी को सम्मान". hindi.news18.com. न्यजू 18. अभिगमन तिथि 28 जनवरी 2024.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]