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यूडीआरएस (UDRS)

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अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (जिसे संक्षिप्त रूप से यूडीआरएस (UDRS) या डीआरएस (DRS) कहा जाता है) वर्तमान में क्रिकेट के खेल में प्रयोग की जाने वाली एक नई तकनीक आधारित प्रणाली है। इस प्रणाली का सबसे पहली बार प्रयोग टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज के आउट होने या नहीं होने की स्थिति में मैदान में स्थित अंपायरों द्वारा दिए गए विवादास्पद फैसलों की समीक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया था। नई समीक्षा प्रणाली को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा 24 नवम्बर 2009 को डूनेडिन में यूनिवर्सिटी ओवल में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच प्रथम टेस्ट के दौरान शुरू किया गया।[1][2] एकदिवसीय मैचों में इसे पहली बार जनवरी 2011 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इंग्लैंड की श्रृंखला में इस्तेमाल किया गया।[3]

प्रणाली

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एक मैच के दौरान प्रत्येक टीम को प्रति पारी दो असफल समीक्षा का अनुरोध करने की अनुमति दी जाती है। एक क्षेत्ररक्षण टीम "आउट नहीं" देने का प्रतिवाद करने और बल्लेबाजी करने वाली एक टीम "आउट " दिए जाने का प्रतिवाद करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग कर सकती है। क्षेत्ररक्षण टीम के कप्तान या बल्लेबाज आउट करार दिए जाने पर हाथों से "टी (T) का संकेत देकर निर्णय को चुनौती देता है। एक बार चुनौती देने पर, उसे स्वीकृत कर सहमति प्रदान किए जाने पर थर्ड अंपायर खेल की समीक्षा करता है। जबकि अंपायर कुछ नजदीकी मामलों के निर्णयों जैसे कि रेखा संबंधी निर्णयों (रन आउट एवं स्टंपिंग का निर्धारण करने) एवं गेंद सीमा-रेखा पार जाने संबंधी निर्णयों के लिए थर्ड अंपायर से अनुरोध कर सकते हैं, चुनौती देने का उपयोग उन स्थितियों में किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप आउट करार दिया जा सकता है: उदाहरण के लिए, इस बात का निर्धारण करने के लिए कि लपकी गई गेंद एक सही कैच है या नहीं (बल्लेबाज के बल्ले या दस्ताने से संपर्क करना एवं क्षेत्ररक्षक द्वारा लपके जाने के पहले जमीन को नहीं छूना) या एक फेंकी गई गेंद लेग बिफोर विकेट (पगबाधा) द्वारा आउट करार दिए जाने के मानदंड (सीधी रेखा में जमीन पर या ऑफ़ साइड में टप्पा खाना एवं बल्लेबाज के पैड से उसी रेखा में उस पथ पर टकराना जिसमें वह विकेट से जा टकराती). फिर थर्ड अंपायर मैदान में स्थित अंपायर को सूचित करता है कि कि उसका विश्लेषण मूल निर्णय का समर्थन करता है, निर्णय के विपरीत है या अनिर्णीत है। तब मैदान में स्थित अंपायर अंतिम निर्णय लेता है: या तो पहले दिए गए निर्णय का पुन: संकेत देता है या बदले जा रहे निर्णय को रद्द करते हुए सही संकेत देता है। प्रत्येक टीम रेफरल का तब तक उपयोग कर सकता है जब तक वह अपने हिस्से के असफल समीक्षाओं का उपयोग नहीं कर लेती है। डीआरएस नियम के अंतर्गत केवल गलत निर्णयों को ही बदला जाता है, उन निर्णयों की स्थिति में जिसमें दोनों संभावनाएं हो सकती हैं, मूल निर्णय (मैदान के अंपायर का निर्णय) नहीं बदलता है।

जब आउट नहीं दिए जाने के एक एलबीडब्ल्यू (LBW) निर्णय का मूल्यांकन किया जाता है और यदि रिप्ले यह दर्शाता है कि गेंद विकेट से 2.5 मी दूर पैड में लगी है, तो अंपायरों को एक अन्य विशेषता पर भी विचार करना पड़ता है: पिच करने एवं पैड से टकराने के बीच गेंद द्वारा तय की गई दूरी. यदि दूरी (पिच करने और पैड के बीच) 40 सेमी से कम हो एवं यदि गेंद को स्टंप तक पहुंचने में 2.5 मी से अधिक की दूरी तय करनी पड़े, तो मैदान में स्थित किसी अम्पायर द्वारा आउट करार नहीं दिए जाने का निर्णय नॉट आउट ही रहेगा. यह भी निर्णय लिया गया है कि यदि बल्लेबाज विकेट से 3.5 मी से अधिक दूर हो, तो पुन: नॉट आउट का निर्णय नहीं बदला जाएगा. केवल एक स्थिति में एक एलबीडब्ल्यू (LBW) निर्णय गेंदबाज के पक्ष में बदला जाएगा यदि बल्लेबाज विकेट से 2.5 मी दूर हो, यदि दूरी 3.5 मी से कम हो एवं पिचिंग एवं प्रभाव बिंदु के बीच की दूरी 40 सेमी से कम हो। उस स्थिति में, गेंद का कुछ हिस्सा बीच वाले स्टंप से टकराएगा एवं संपूर्ण गेंद गिल्ली के नीचे स्टंप से टकराएगी. उन मामलों में, जहां मूल निर्णय में आउट दिया गया हो, 2.5 मी या 40 सेमी की दूरी लागू नहीं होती है, क्योंकि उस स्थिति में अंपायर को अपने निर्णय को पूर्ववत करने के लिए हॉक आई द्वारा गेंद को स्टंप को पूरी तरह छोड़ता हुआ दिखाना चाहिए।

प्रतिक्रिया

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आम तौर पर इस प्रणाली को खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है, हालांकि इसकी कुछ आलोचना भी हुई है। वेस्टइंडीज के प्रसिद्ध खिलाड़ी जोएल गार्नर ने इस प्रणाली को एक नौटंकी करार दिया है।[4] वेस्टइंडीज के एक अन्य खिलाड़ी रामनरेश सरवन ने कहा वे प्रयोगात्मक रेफरल प्रणाली के समर्थक नहीं थे।[5] पूर्व अंपायर डिकी बर्ड ने भी इस प्रणाली की यह कहते हुए आलोचना की कि यह मैदान में स्थित अंपायर के अधिकार को नजरअंदाज करता है।[6] भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई (BCCI)) इस प्रणाली का उपयोग करने के पक्ष में नहीं है।[7]

आईसीसी (ICC) विश्व कप 2011

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विश्व कप का प्रथम रेफरल दूसरी पारी में चौथीं गेंद फेंके जाने के बाद प्रयोग में आया। भारत के शांताकुमार श्रीसंत ने एक यॉर्कर गेंद फेंका था और अंपायर ने इसे नॉट आउट करार दिया। धोनी ने इसे टीवी अंपायर के पास भेजा और एक रिप्ले (पुनरावृत्ति) ने दिखाया कि शायद यह लेग स्टंप चूक गया होगा, इसलिए मूल निर्णय को सही ठहराया गया। मैच ने विश्व कप क्रिकेट में विवादास्पद अंपायर रेफरल प्रणाली की प्रथम शुरुआत की। यूडीआरएस (UDRS) का प्रयोग बंगलोर में भारत एवं इंग्लैण्ड के बीच रोमांचक मुकाबले में किया गया जब एम.एस. धोनी इस प्रणाली से नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि यह मानव और तकनीक की एक मिलावट है, जिस पर आईसीसी ने उत्तर दिया कि इस पर निर्णय देने के पहले खिलाड़ियों को तकनीक को जानना चाहिए। [8] आईसीसी ने 2.5 मी के नियम के दिशा निर्देशों को संशोधित किया है कि अंपायरों को इसके संबंध में महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार करना चाहिए। [9] पाकिस्तान ने समूह ए के अपने मैच में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध डीआरएस (DRS) का सफलतापूर्वक प्रयोग किया। मोहम्मद हफीज की फेंकी हुई एक गेंद ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग के बल्ले का बाहरी किनारा लिया एवं अंपायर ने इसे नॉट आउट करार दिया। डीआरएस (DRS) प्रणाली ने इस निर्णय को बदल दिया। मैच में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मैच के बाद ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ने यह स्वीकार किया कि गेंद ने उनके बल्ले का बाहरी किनारा लिया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे क्रीज पर बने रहे क्योंकि वे कभी भी एक वॉकर - (स्वयं को आउट मानने वाला) नहीं थे। पोंटिंग ने कहा कि "बल्ला लगाने के संबंध में कोई संदेह नहीं था - मुझे मालूम था कि मैंने गेंद को मारा था". "लेकिन हमेशा की तरह, मैं अंपायर द्वारा अपने आप को आउट दिए जाने के लिए प्रतीक्षा करता हूं. मैंने हमेशा इसी तरह से खेल खेला है। रिकी पोंटिंग के निर्णय एवं बुरी खेल भावना प्रदर्शित करने के लिए उनकी बहुत आलोचना हुई है।

नवीनतम यूआरडीएस (UDRS) संशोधन के अनुसार, यद्यपि बल्लेबाज बहुत आगे खेल रहा हो (2.5 मीटर से अधिक) तब भी उसे आउट दिया जाएगा बशर्तें कि टीवी उत्तर के अनुसार गेंद का कुछ हिस्सा बीच वाले स्टंप से जा टकराए (बशर्तें कि अन्य सभी एलबीडब्ल्यू नियम अब भी सही हों)

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "Decision Review System set for debut". Cricketnext.in. Nov 23, 2009. मूल से 26 नवंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-02-18.
  2. "Official debut for enhanced review system". Cricinfo. Nov 23, 2009. मूल से 10 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-02-18.
  3. "Referrals to be used in Australia-England ODI series". BBC Sport. British Broadcasting Corporation. 16 जनवरी 2011. मूल से 8 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जनवरी 2011.
  4. "Garner labels review system as a 'gimmick'". London: The Independent. Dec 10, 2009. मूल से 13 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-02-18.
  5. Weaver, Paul (Dec 6, 2009). "Sarwan unhappy with umpire review system despite reprieve". London: Guardian. मूल से 11 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-02-18.
  6. "Dickie Bird criticises review system". Cricinfo. Dec 7, 2009. अभिगमन तिथि 2010-02-18.
  7. "BCCI to oppose Umpire Decision Review System". The Nation. Nov 12, 2009. अभिगमन तिथि 2010-02-18.[मृत कड़ियाँ]
  8. "UDRS, ICC World Cup 2011". मूल से 8 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 अप्रैल 2011. पाठ "Cricket News" की उपेक्षा की गयी (मदद)
  9. "Revised guidelines of 2.5m rule". मूल से 8 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 अप्रैल 2011. पाठ "Cricket Archives" की उपेक्षा की गयी (मदद)

बाहरी कड़ियाँ

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