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धतूरा

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धतूरा
धतूरा स्ट्रामोनियम
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
संघ: Magnoliophyta
वर्ग: Magnoliopsida
गण: Solanals
कुल: Solanaceae
वंश: Datura
L.
Species
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Written by :- gaurav sharma

धतूरा एक पाद है।। यह लगभग 1-2mtr.तक ऊँचा होता है। यह वृक्ष दो रंग का होता है। नीली चित्तियों वाला होता है। हिन्दू लोग धतूरे के फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे 'कनक' और सुश्रुत ने 'उन्मत्त' नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं।

नाम : संस्कृत - धतूर, मदन, उन्मत्त, मातुल, हिन्दी - धतूरा, बंगला - धुतुरा, मराठी - धोत्रा, धोधरा, गुजराती - धंतर्रा, अंग्रेजी - धोर्न एप्पल स्ट्रामोनियम। ओड़िया:- दुदुरा

आयुर्वेद में उपयोग

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धतूरा स्ट्रामोनिअमो के पौधे के विभिन्न भाग

धतूरे के पत्तों का धूँआ दमा शांत करता है। तथा धतूरे के पत्तों का अर्क कान में डालने से आँख का दुखना बंद हो जाता है। धतूरे की जड सूंघे तो मृगीरोग शाँत हो जाता है। धतूरे की फल को बीच से तरास कर उसमें लौंग रखे फिर कपड मिट्टी कर भूमर में भूने जब भून जावे तब पीस कर उसका उडद बराबर गोलीयाँ बनाये सबेरे साँझ एक -एक गोली खाने से ताप और तिजारी रोग दूर हो जाय और वीर्य का बंधेज होवे। धतूरे के कोमल पत्तो पर तेल चुपडे और आग पर सेंक कर बालक के पेट पर बाँधे इससे बाल का सर्दी दूर हो जाती है। और फोडा पर बाँधने से फोडा अच्छा हो जाता है। बवासीर और भगन्दर पर धतूरे के पत्ते सेंक कर बाँधे स्त्री के प्रसूती रोग अथवा गठिया रोग होने से धतूरे के बीजों तेल मला जाता है।

प्रजातियां

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बाहरी कड़ियाँ

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