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द प्रोटोकॉल ऑफ द एल्डर्स ऑफ जियोन

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द प्रोटोकॉल ऑफ द एल्डर्स ऑफ जियोन
पहली पुस्तक के संस्करण का कवर, The Great within the Minuscule and Antichrist
लेखकसंभवतः प्योत्र रच्कोव्स्क्य से लेखक हरमन घोएद्स्चे और मौरिस जोली
मूल शीर्षकПрограма завоевания мира евреями (Programa zavoevaniya mira evreyami, "विश्व विजय के लिए यहूदी कार्यक्रम")
भाषा रूसी, में जर्मन और फ्रेंच से साहित्यिक चोरी के साथtexts
विषययहूदी विरोधी षड्यंत्र सिद्धांत
शैलीप्रचार
प्रकाशकजनम्य (अखबार)
प्रकाशन तिथिअगस्त से सितम्बर 1903
प्रकाशन स्थानरूसी साम्राज्य
अंग्रेज़ी प्रकाशन1919
मीडिया प्रकारधोखाधड़ी का राजनीतिक निबंध
पृष्ठ417 (1905 संस्करण)

द प्रोटोकॉल ऑफ द एल्डर्स ऑफ जियोन रूस का एक फर्जीवाड़ा है।[1] यह फ्रांसीसी नाटक फ्रॉम द नाइटींथ सेंचुरी पर आधारित था। आंद्रोपोव एल्डर्स ऑफ जियोन को अमेरिकी कांग्रेस बताकर प्रचारित करते थे। आंद्रोपोव जो कि 1967 में अरब-इजरायल के युद्ध के ठीक छह दिन पहले केजीबी प्रमुख बने थे, ने अरबी भाषा में इस किताब का अनुवाद करवाया था। रूस ने 1905 में एक झूठे प्रोपेगेंडा वाली किताब द प्रोटोकॉल ऑफ द एल्डर्स ऑफ जियोन में यह आरोप लगाया था कि यहूदी पूरे यूरोप को कब्जा में लेने की तैयारी में हैं और अमेरिका उन्हें सहायता दे रहा है। रूस की इंटेलीजेंस एजेंसी में अफसर रहे पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल इओन मिहैद पसेपा ने अपनी एक किताब में दावा किया है कि द प्रोटोकॉल बुक हिटलर की फिलॉस्फी पर सबसे अधिक आधारित थी। उन्होंने लिखा है कि विश्व की खतरनाक मानी जाने वाली रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी ने 1970 में मुस्लिम देशों में इसकी हजारों प्रतियां बँटवाईं थी। जेन इओन मिहैड पसेपा रोमानिया के नागरिक हैं। जनरल पसेपा और यूनिवर्सिटी ऑफ मिस्सीसिपी में लॉ के प्रोफेसर रोनाल्ड रचाक द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई किताब 'डिसइन्फॉर्मेशन' में यह दावा किया है। किताब में बताया गया है कि रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में 15 साल तक प्रमुख रहे यूरी आंद्रोपोव ने सैकड़ों एजेंट मुस्लिम देशों में भेजे थे। इन एजेंटों को प्रोपेगंडा लिटरेचर की हजारों प्रतियां दी गई थीं। इस झूठे प्रचार अभियान में यह बताया गया था कि अमेरिका और इजरायल यूरोप के अलावा मुस्लिम देशों को अपनी जागीर बनाना चाहते हैं।[2]

सन्दर्भ

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  1. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 2 जुलाई 2013. Retrieved 27 जून 2013.
  2. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 2 जुलाई 2013. Retrieved 27 जून 2013.