दो बैलों की कथा
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दो Archived 2023-07-17 at the वेबैक मशीन बैलों की था 1931 में मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित हिन्दी कहानी है।
यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए। जन्म के साथ ही स्वतंत्रता सबका अधिकार है, उसे बनाए रखना सबका परम कर्तव्य है विचार समाज के समक्ष रखता है।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- दो बैलो की कथा (हिन्दी विकिस्रोत पर)
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