दोमेनिको घिर्लांदाइयो

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दोमेनिको घिर्लांदाइयो द्वारा चित्रित गिवोवाना टोर्नाबोनी

दोमेनिको घिर्लांदाइयो (Domenico Ghirlandaio ; १४४९-९४) १५वीं शती के फ्लोरेंस का प्रख्यात भित्तिचित्रकार, आकृतियों, वातावरण, भूदृश्यादि के यथार्थ अंकन में प्रवीण। उसका मूल नाम 'दोमोनिको दि तोमासो बिगोर्दी' थी। उसकी प्रारंभिक भित्तिकृत्तियों पर उसके गुरुओं बाल्दोविनती और वेरोचो का प्रभाव स्पष्ट लक्षित है। उसके प्रधान भित्तिचित्र ब्रोत्सी के संत आंद्रिया के गिरजे, फ्लोरेंस तथा उसके आसपास के नगरों में लिखे गए। माईकेलैंजेलो उसका प्रमुख शिष्य था।

परिचय[संपादित करें]

पुनर्जागरण काल में विश्वविश्रुत चित्रकारों मेंदोमेनिको शैली की दृष्टि से पूर्वगामी था। उसकी शिल्पशाला शिल्पियों से भरी रहती थी जिनमें कुछ उसके शिष्य थे, कुछ भाई, कुछ सहयोगी। उन सबकी सहकारिता से उसने इतनी बड़ी संख्या में इटली के भित्तिचित्र प्रस्तुत किए। इन्हीं शिष्यों में पुनर्जागरणकाल का यशस्वी कलावंत माईकेलैंजेलो भी था। घिर्लांदाइयो अपने काल के फ्लोरेंस के परम लोकप्रिय कलाकारों में से था और उसके ग्राहकों में संभ्रांत तथा धनाढ्य वणिकों की संख्या बड़ी थी, जिनकी इस कलाकार, द्वारा बनाई अनेक प्रतिकृतियाँ आज भी उपलब्ध हैं। रेखाचित्रों और खाकों की भी एक राशि संरक्षित है।

घिर्लांदाइयो के चित्रकार्य की परंपरा इस प्रकार है- फ्लोरेंस के वेस्पुच्ची गिरजे में लिखित कृपालु मदोना, तथा दु:खप्रकाश (१४७२-७३), फ़िना, कोलेगियाता तथा गिमिन्यानो के जीवन के घटनाचित्र (१४७५) सत्तीमो में बादिया के भित्तिचित्र (१४७९), पोत्वेरोजा में सान दोनातो के भित्तिचित्र, फ्लोरेंस में ओन्यीसांती में अंतिम भोज के तीन तीन तथा संत जेरोम के प्रसिद्ध भित्तिचित्र (१४८०), सांता मारिया नोवेला के संत जान बप्तिस्त तथा कुमारी मरियम के जीवन की घटनाओं से संबंधित असाधारण सुंदर भित्तिचित्र।


सन्दर्भ[संपादित करें]