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दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना

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भारत सरकार ने शहरी और ग्रामीण गरीबों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का आरंभ 25 सितंबर 2014 को किया।[1] योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है।यह बेघर व्यक्तियों को घर उपलब्ध कराने के साथ-साथ व्यवसाय स्थापित करने के लिए ऋण देने की दिशा में भी काम करता है।

दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के दो घटक हैं– एक शहरी भारत के लिए और एक ग्रामीण भारत के लिए। शहरी घटक का कार्यान्वयन केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय करेगा, जबकि ग्रामीण घटक, जिसका नाम दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना है, का कार्यान्वय केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। प्रारंभिक योजना स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) 1999 में शुरू की गई थी। 2011 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कर दिया गया। अंत में उन्हें DDU-AY में मिला दिया गया।[2]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "दीनदयाल अंत्योदय योजना". इंडिया.सरकार.भारत. अभिगमन तिथि 25 सितंबर 2014.
  2. "उत्तरी, पूर्वी राज्यों में एसएचजी को बैंक ऋण बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला". हिंदुस्तान टाइम्स. अभिगमन तिथि 19 नवंबर 2017.