दरभंगा घराना
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मार्च 2021) स्रोत खोजें: "दरभंगा घराना" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
दरभंगा घराने की उत्पत्ति सेनिया घराने के दरबारी गायक तानसेन के उत्तराधिकारी सदारंग (नेमत खां) के पुत्र भूपत खां (महारंग) से दरभंगा घराने के प्रवर्तक स्वर्गीय पंडित राधा कृष्ण एवं कर्ता राम मलिक द्वारा हुई है। घराने के स्तंभ दोनों भाई घटारों (हाजीपुर) के बाशिंदा होते हुए ग्वालियर जाकर ध्रुपद की शिक्षा लगभग 30 वर्षों तक प्राप्त की थी। वस्तुतः यह संगीत जीवी जाति के ही वंशज हैं तथा इस घराने के मल्लिक गायक ब्राह्मण कहलाते हैं। घराने के दोनों बंधुओं स्वर्गीय पंडित राधा कृष्ण करता राम ने अपने कठिन रियाज और साधना से 6 रागों की सिद्धि प्राप्त की जिसके फलस्वरूप इन रागों पर इनका अधिकार था। ये राग हैं:भैरव, मालकोंश, दीपक, मेघ-मल्हार, श्री, हिंडोल। एक बार की घटना है दरभंगा क्षेत्र में काफी दिनों से वर्षा नहीं हो रही थी, जिसके कारण वहां दुर्भिक्ष फैल गया था। अनेक उपाय एवं प्रयास से लोग असफल रहे और तब इन दोनों भाइयों से आग्रह किया गया कि क्या आप लोग गाकर पानी बरसा सकते हैं? अगर ऐसा हुआ तो बड़ी कृपा होगी। भगवती की 6 घंटा पूजा के बाद दोनों भाइयों ने दरबार में राग मेघ-मल्हार का गायन शुरू किया एवं गायन का अंत होते-होते मल्हार ने अपना प्रभाव छोड़ा और 3 घंटे तक लगातार बारिश होती रही। अंत में सभी की विनती हुई कि गायन को विराम दिया जाए,पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया है। इस प्रकार एक अविस्मरणीय प्रमाण है। इस संगीत चमत्कार से प्रभावित होकर तत्कालीन दरभंगा नरेश महाराज माधव सिंह ने उन्हें राज गायक के रूप में नियुक्त करते हुए अमता ग्राम सहित तीन मौजा 1100 सौ एकड़ जमीन पुरस्कार स्वरूप दिया था।
बाद की पीढ़ियों में एक से एक धुरंधर संगीत सिद्धस्थ नाम महत्वपूर्ण है। जिनमें सिद्ध कला साधक पंडित क्षितिपाल मल्लिक जी का विशेष रूप में तथा योग्य कला साधक एवं रचनाकार स्वर्गीय पंडित राजितराम मल्लिक के मुख्य दो शिष्य स्वर्गीय पंडित सुखदेव मल्लिक एवं दरभंगा राज गायक के रूप में स्वर्गीय पंडित राम चतुर मल्लिक ने अपनी साधना एवं योग्यता से इस घराने की स्थापना एवं पहचान बनाई। पंडित सुखदेव मल्लिक योग्य गायक थे जिन्होंने अपने छोटे पुत्र पंडित विदुर मल्लिक को संगीत की शिक्षा दी जो विश्व में ख्यातिलब्ध हुए। पद्मश्री रामचतुर मल्लिक ने महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह के एडीसी के रूप में देश विदेश में इस घराने की गायकी का परिचय कराया। इसी घराने के पंडित विष्णु देव पाठक के शिष्य पंडित रामआशीष पाठक भी पखावज के प्रकांड विद्वान थे। इसी कड़ी में महान संगीतज्ञ पंडित विदुर मलिक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने घराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।
वर्तमान में इनके जेष्ठ पुत्र एवं शिष्य पंडित राम कुमार मल्लिक दरभंगा घराने के वरिष्ठ ध्रुपद गायक के रूप में 12 वीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। दूसरे पुत्र डॉ पंडित प्रेम कुमार मल्लिक इसी पीढ़ी के एक द्रुपद साधक के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रयागराज इलाहाबाद में रहते हुए संगीत विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष के रूप में दे रहे हैं। इसके बाद की पीढ़ी में यानी 13 वीं पीढ़ी में भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर युवा कलाकार इनके पुत्र एवं शिष्य इस घराने को आगे बढ़ा रहे हैं।