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दन्तमंजन

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दन्तबुरुश पर दन्तमंजन-पेस्ट लगाते हुए

दन्तमंजन (Toothpaste) वह पेस्ट या जेल् (gel) है जिसे दन्तबुरुश पर लगाकर दाँतों की सफाई की जाती है।

दन्तमंजन (टूथपेस्ट) का इतिहास

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टूथपेस्ट का प्रचलन सदियों पुराना रहा है। ईसा से लगभग ५०० वर्ष पूर्व चीन तथा भारत जैसे देशों में लोग हड्डियों व सीपियों के चूरे को मिलाकर देसी नुस्खों से तैयार टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते थे। हालांकि आधुनिक टूथपेस्ट का चलन उन्नीसवीं सदी से शुरू हुआ। वर्ष १८२४ में पीबॉडी नामक एक डेंटिस्ट ने पहली बार टूथपेस्ट में साबुन का इस्तेमाल किया था। आगे चलकर १८५० के दशक में जॉन हैरिस ने टूथपेस्ट में चॉक जैसा घटक जोड़ा। वैसे यह न्यूयॉर्क सिटी में स्थित कोलगेट कंपनी ही थी, जिसने वर्ष १८७३ में पहली बार टूथपेस्ट का व्यापक पैमाने पर निर्माण किया। कोलगेट का यह उत्पाद उस वक्त जार में पेश किया गया था।

वर्ष १८९२ में न्यू लंदन के डॉ॰ वाशिंगटन शेफील्ड टूथपेस्ट को पहली बार सिमटने लायक ट्यूब में लेकर आए। इसके कुछ साल बाद कोलगेट ने भी अपनी टूथपेस्ट ट्यूब बाजार में पेश कर दी। वर्ष १९१४ में टूथपेस्ट में पहली बार फ्लोराइड का इस्तेमाल किया गया। शुरुआत में अमेरिकी डेंटल एसोसिएशन (एडीए) ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन बाद में इससे जुड़े शोध के नतीजों से संतुष्ट होने के बाद उसने अपनी मंजूरी दे दी।[1]

बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2011.