थलैसा (उपग्रह)
थलैसा सौर मण्डल के आठवे ग्रह वरुण का एक उपग्रह है। यह वरुण के सारे उपग्रहों में से उस से दूसरा सबसे समीप परिक्रमा करने वाला उपग्रह है। थलैसा का औसत व्यास ८२ किमी है और इसका अकार बेढंगा है (यानि गोल नहीं है)। इस उपग्रह का रंग गाढ़ा प्रतीत होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है के वरुण का यह चन्द्रमा वरुण के साथ-साथ निर्मित नहीं हुआ था, बल्कि उस मलबे के कुछ जमावड़े से बन गया है जब वरुण नें अपने से पास गुज़रते हुए ट्राइटन को अपने शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के क़ब्ज़े में लेकर उसे अपना उपग्रह बना लिया। उस दौरान वरुण के इर्द-गिर्द घूम रहे पुराने उपग्रहों में गुरुत्वकर्षण के बदलते प्रभाव से काफ़ी टकराव हुए थे जिनसे वे उपग्रह ध्वस्त हो गए और अपना मलबा छोड़ गए और थलैसा उसी का नतीजा है। ट्राइटन को छोड़कर, वरुण के अन्य उपग्रहों का निर्माण कुछ ऐसे ही हुआ था।[1]
वरुण के कुछ अन्य अंदरूनी चंद्रमाओं की तरह, थलैसा भी धीरे-धीरे वरुण के समीप आता जा रहा है और वैज्ञानिकों का विचार है के कुछ समय बात यह या तो वरुण के वायुमंडल में गिरकर ध्वस्त हो जाएगा या वरुण की रोश सीमा के अन्दर आने से उसके गुरुत्वाकर्षण द्वारा तोड़कर एक उपग्रही छल्ले के लिए मलबा बन जाएगा।
अन्य भाषाओँ में
[संपादित करें]थलैसा को अंग्रेज़ी में "Thalassa" कहते हैं। इसका सही उच्चारण थ़लैसा है जिसका पहला वर्ण "थ" से मिलता-जुलता लेकिन थोड़ा सा भिन्न "थ़" है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ डॉन बैनफ़ील्ड, नॉर्म मर्रे (१९९२). ""वरुण के अंदरूनी उपग्रहों का एक गत्यात्मक इतिहास (अ डाएनैमिकल हिस्टरी ऑफ़ द इन्नर नॅप्टयूनियन सैटलाइट्ज़, अंग्रेज़ी में)"". आइकैरस. ९९ (२): ३९०. डीओआइ:10.1016/0019-1035(92)90155-Z. बिबकोड:1992Icar...99..390B. मूल से 3 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 मई 2011.