त्रिकालपरीक्षा
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त्रिकालपरीक्षा (या त्रैकाल्यपरीक्षा) आचार्य दिङ्नाग कृत संस्कृतभाषा में एक 33 कारिकाओं की लघुकाय परन्तु महत्वपूर्ण तत्वमीमांसीय रचना है। इसकी मूल संस्कृत पाण्डुलिपि को अभी तक खोजा नहीं जा सका है। चिंचोरे द्वारा भोटभाषा से संस्कृत में पुनः रचित पाठ उनके एक लेख के परिशिष्ट में संलग्न है।[1]