ताओ धर्म

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ताओ धर्म (चीनी:道教) चीन का एक मूल दर्शन है। यह 4थी शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ तथा इसका स्रोत दार्शनिक लाओ-त्सी द्वारा रचित ग्रन्थ ताओ-ते-चिंग और ज़ुआंग-ज़ी हैं। असल में पहले ताओ एक धर्म नहीं बल्कि एक दर्शन और जीवनशैली ही था तथा बाद में बौद्ध धर्म के चीन पहुंचने के बाद ताओ ने बौद्धों की कई धारणाएं सम्मिलित कीं और वज्रयान सम्प्रदाय के रूप में आगे बढ़ा।

बौद्ध धर्म और ताओ धर्म में आपस में समय समय पर अहिंसात्मक संघर्ष भी होता रहा है। अब कई चीनी बौद्ध तथा ताओ दोनों धर्मों को एकसात मानती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन में 50% से 80% आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। इसमें 50% बौद्ध और 30% ताओ आबादी हो सकती है। सर्वोच्च देवी और देवता यिन और यांग हैं। देवताओं की पूजा के लिये कर्मकाण्ड किये जाते हैं और पशुओं और अन्य चीज़ों की बलि दी जाती है। चीन से निकली ज़्यादातर चीज़ें, जैसे चीनी व्यंजन, चीनी रसायनविद्या, चीनी कुंग-फ़ू, फ़ेंग-शुई, चीनी दवाएँ, आदि किसी न किसी रूप से ताओ धर्म से सम्बन्धित रही हैं। क्योंकि ताओ धर्म एक संगठित धर्म नहीं है, इसलिये इसके अनुयायियों की संख्या पता करना कठिन है।

ताओ दर्शन[संपादित करें]