तंत्र सिद्धान्त

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तंत्र सिद्धान्त (Systems theory) जटिल संरचनाओं के अध्ययन करने की एक विधि है। जटिल संरचनाएँ प्रकृति में, समाज में या विज्ञान में या अन्य क्षेत्रों में हो सकती हैं। उदाहरण के लिए किसी देश की अर्थव्यवस्था एक जटिल संरचना है और देश के आर्थिक विकास व देशवासियों के जीवन स्तर के उन्नयन के लिए इस संरचना के विविध पक्षों का ज्ञान आवश्यक है। तंत्र सिद्धान्त इसका अध्ययन करता है कि तंत्र (सिस्टम) कैसे बनते हैं, वे कैसे काम करते हैं, किसी तंत्र का लक्ष्य क्या है, उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किन किन चीजों को किस तरह (कब, किस गति से और कितनी मात्रा में) बदलना चाहिए। स्पष्ट है कि तंत्र सिद्धान्त एक अंतर्विषयी उपागम (interdisciplinary approach) है।

'सिस्टेम्स थिअरी' का आरम्भ बर्तलान्फी (Bertalanffy) द्वारा प्रतिपादित 'जनरल सिस्टेम्स थिअरी' से हुई। यहाँ 'तंत्र' से मतलब उन तंत्रों से है जो प्रतिपुष्टि (फीडबैक) के माध्यम से स्वनियमित (self-correcting) होते हैं।

मुख्य संकल्पनाएँ[संपादित करें]

  • तन्त्र (system) : अन्तःक्रिया करने वाले परस्पर निर्भर अवयवों का समूह जो मिलकर एक 'पूर्ण' कार्य करते हैं।
  • सीमाएँ (boundaries) :
  • प्रतिपुष्टि पाश (feedback loop):
  • खुला तंत्र एवं बन्द तंत्र (open and closed systems)
  • तंत्र रचना (सिस्टम आर्किटेक्चर)
  • तंत्र विश्लेषण
  • प्रणाली दृष्टिकोण (systems approach)
  • प्रणाली चिन्तन (systems thinking)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]