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डेनिस लेवेरतोव

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डेनिस लेवेरतोव

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प्रिस्चिल्ला डेनिस लेवेरतोव (२४ अक्टूबर १९२३ - २० दिसम्बर १९९७) एक ब्रिटिश कवियत्री थीं।

प्रारंभिक जीवन

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उनका जन्म इल्फोर्ड, एसेक्स में हुआ। उनकी माँ, श्रीमती बीट्राइस एडिलेड लेवेरतोव, उत्तरी वेल्स के एक छोटे से गाँव से संबंधित थीं। उनके पिता, पॉल लेवेरतोव, लिपजिग विश्वविद्यालय में अध्यापक रह चुके थे और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रुसी हसीडीसी यहूदी होने के कारण, ऊनकी नैतिकता के आधार पर घर पर नज़रबंद भी किये गए थे। इस घटना के बाद वे ब्रिटैन आ गए और ईसाई धर्म में परिवर्तन के अंग्रेज़ी चर्च के पुजारी बन गए। लेवेरतोव घर पर ही शिक्षित की गईं। उन्होंने शुरुआती उम्र में ही लिखने के प्रति काफी उत्साह दिखाया ओर साथ ही साथ बैले, कला ओर फ्रेंच विषयों में भी रुचि दिखाई। जब वे पाँच साल की थीं, उन्होंने तय कर लिया कि वे बड़ी होक लेखिका बनेंगी। मात्र १२ साल की उम्र में उन्हीने अपनी कवितायें टी. एस. इलियट जिन्हीने २-पृष्ठ लंबा प्रोत्साहन भरा जवाब भेजा। सन १९४० में, मात्र १७ वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली कविता प्रकाशित की। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्हीने सिविल नर्स के रूप में घायल सैनिकों की सेवा की। इसके छः साल बाद उनकी पहली किताब, दी डबल इमेज, प्रकाशित हुई। सन १९४७ में उन्होंने अमरीकी लेखक मिटचेल गुडमैन से ब्याह रचाया और अमेरिका चली गईं। उनका इस शादी से एक बेटा हुआ, निकोलाई। सन १९७५ में उनका और गुडमैन का तलाक हो गया।

बाद का जीवन और काम

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१९६० से ७० के दौरान लेवेरतोव अपने काम में राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गईं। "द नेशन" की कविता संपादक होने के कारण वह नारीवादी और अन्य वामपंथी कार्यकर्ता कवियों के काम का समर्थन और प्रकाशन करने में सक्षम थीं। लेवेरतोव वियतनाम युद्ध के जवाब में युद्ध प्रतिरोधक लीग में शामिल हुईं और सन १९६८ में उन्होंने "राइटर्स एंड एडिटर्स वॉर टैक्स प्रोटेस्ट" प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किया और युद्ध के विरोध में कर भुगतानों को मन करने का वचन दिया।

लेवेरतोव का बाद का जीवन शिक्षा में गुज़रा। मेसाचुसेट्स जाने के बाद, उन्होंने ब्रांड्स विश्वविद्यालय, एमआई टी और टफ्ट्स विश्वविद्यालय में पढ़ाया। वह कुछ समय तक पालो आल्टो में भी रहीं जहां उन्होंने स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी पढ़ाया। सन १९८९ में वे सोमेरविल्ले, मेसाचुसेट्स से सीएटल, वाशिंगटन चली गईं जहां उनका वाशिंगटन विश्वविद्यालय में कुछ समय तक कार्यकाल रहा और ११ साल तक (१९८२-१९९३) वह स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर रहीं जहां उन्होंने "स्टेगनेर फेलोशिप कार्यक्रम" पढ़ाया। शिक्षण से अवकाश लेने के बाद उन्होंने अगले एक साल तक ब्रिटैन और अमरीका में कविता पाठ करने के लिए यात्रा की।

सन १९९४ में उन्हें लिंफोमा से पीड़ित पाया गया और उन्हें निमोनिया और तीव्र झड़प का भी सामना करना पड़ा। सन १९९७ में लेवेरतोव की ७४ वर्ष की उम्र में लिंफोमा के कारण मौत हो गयी। उन्हें सीएटल, वाशिंगटन के लेक व्यू कब्रिस्तान में दफनाया गया। लेवेरतोव की जीवनी दाना ग्रीन द्वारा लिखी गयी जो की अक्टूबर २०१२ में "डेनिस लेवेरतोव: अ पोएट'स लाइफ" के नाम से प्रकाशित हुई। डोना क्रोलीक होलनबेर्ग द्वारा लिखी हुई पर्याप्त जीवनचरित्र "अ पोएट'स रेवोल्यूशन: द लाइफ ऑफ डेनिस लेवेरतोव" अप्रैल २०१३ में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया।

उपलब्धियां

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लेवेरतोव ने अपने कार्यकाल में २४ पुस्तकें लिखीं और प्रकाशित की, उसके साथ इन्होंने आलोचना और अनुवाद भी प्रकाशित किये। उन्होंने कई संस्मरणों को भी संपादित किया। उनके कई पुरस्कारों और सम्मानों में शेली मेमोरियल पुरस्कार, रोबर्ट फ्रॉस्ट मैडल, लननं पुरस्कार, लियॉन मार्शल पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें कैथरीन मेमोरियल ग्रांट, और गुग्गेनहेम फ़ेलोशिप से अनुदान भी प्राप्त है।