टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

नई छात्र पीढ़ी में विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के साथ संस्कृति, कला तथा साहित्य के प्रति जिज्ञासा, अभिरूचि, सृजन और संस्कारशील व्यक्तित्व गढ़ने के उद्देश्य से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्व विद्यालय, भोपाल द्वारा टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र की स्थापना की गई है। अपनी सक्रियता के चलते इस केन्द्र ने अध्ययन, शोध और प्रदर्शनकारी गतिविधियों के माध्यम से विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं तथा विभिन्न विधाओं के अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सर्जकों और विशेषज्ञों के बीच नवोन्मेषी रचनात्मक परिवेश तैयार किया है। यह केन्द्र रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर, खंडवा और पटना तथा आईसेक्ट विश्वविद्यालय हजारीबाग में समान रूप से संचालित है। भोपाल इसकी केन्द्रीय इकाई है। ललित कलाओं, संस्कृति और साहित्य के विभिन्न पक्षों को अपनी गतिविधियों के दायरे में रखते हुए यह केन्द्र जनजातीय और लोक कलाओं की प्रस्तुतियों के अलावा शोध, विमर्श, संवाद, सृजन-शिविर, कार्यशालाओं, पुस्तक लोकार्पण, व्याख्यान, संपादन, अनुवाद और दस्तावेजीकरण की दिशाओं में सक्रिय है।

प्रमुख गतिविधियाँ[संपादित करें]

  • प्रणति पर्व (रबीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मदिन, 7 मई पर प्रतिवर्ष आयोजित)
  • सुर पराग, अनुनाद ( विश्व संगीत दिवस, 21 जून पर प्रतिवर्ष आयोजित)
  • विश्व रंग
  • होरी हो ब्रजराज ( होली के पारम्परिक गीत-संगीत और नृत्य)

प्रमुख प्रकाशन[संपादित करें]

  • रंग संवाद (कला एवं संस्कृति की त्रेमासिक पत्रिका)
  • अनुनाद ( संगीत पर केन्द्रित कविताओं का किताबी दस्तावेज़)
  • जीवन का उजियारा पुस्तक (किताबों पर केन्द्रित कविताओं का संग्रह)
  • सफ़ह पर आवाज़ (मूर्धन्य विभूतियों की भेंट वार्ताओं का यह दुर्लभ और रोचक संग्रह)
  • परम्परा और परिवेश ( 'रंग संवाद' में प्रकाशित मुख्य आलेखों का समावेश)