जॉर्ज एल्टन मेयो

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जॉर्ज एल्टन मेयो

जीवन परिचय[संपादित करें]

जॉर्ज एल्टन मेयो का जन्म २६ दिसंबर १८८० को एडिलेड दक्षिण ऑस्ट्रेलिया मे हुआ था। वे एक सम्मानित औपनिवेशिक परिवार के दुसरे पुत्र थे। वे ड्राफ्ट्समैन और बाद में सिविल इंजीनियर बने। उनकी पत्नी हेनरिटा मैरी और उनके पुत्र का नाम डोनोल्ड था। उन्के दादा जॉर्ज मेयो दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के जानेमाने दवाई के व्यवसायी थे। एल्टन चिकित्सा के क्षेत्र में अपने दादा का पालन करना चाहते थे लेकिन विश्वविद्यालय कि पढाई मे फेल होने से उनेहे ब्रिटैन भेज दिया गया। वहाँ वे ऑस्ट्रेलियन राजनिति के बारे मे लिखने एंव पढाने लगे।

कार्यक्षेत्र[संपादित करें]

वे १९०५ मे एडिलेड लौट आये, और भगेदारी मे जे. हच. शैरिंग अण्ड कंपनी शुरु की।लेकिन १९०७ मे वे दर्निक और मनोविज्ञान की पढाई करने सर विल्ल्यं मिचेल्ल के अंतर्गत विश्वविद्यालय गए। उनको मनोविज्ञान मे रोबि फ्लेचर पुरस्कार मिला। १९११ मे क्वींसलैंड विश्वविद्यालय मे मान्सिक और दर्शनिक के नींव व्याख्याता बने। कुछ समय तक वे पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय मे काम किया, लेकिन वे अपने जीवन के दुसरे भाग मे हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल मे(१९२६-१९४७) औद्योगिक अनुसंधान के प्रोफेसर रहे। मेयो ने मानव संबंध आंदोलन कि नींव रख्नने मे सहायता कि और आधुनिक मानव संसाधन इस आंदोलन के कारण ही वह प्रमुख भूमिका हासिल की। वे औद्योगिक अनुसंधान और हव्थ्रोन की पढ़ाई के लिए जाने जाते हैं। उन्होने "द हुमन प्रोब्लंस ओफ अन इन्डस्ट्रियलाइज़्ड सिविलाइजेशन" नामक किताब भी लिखि। मेयो अपने प्रसिद्ध प्रयोगों पर काम करने लगे-वो था जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी का हाव्तोन का काम (१९२४-१९२७)। इस प्रयोग के द्वारा उन्होने काम पर व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने में समूहों के महत्व को दिखाया। मेयो के कर्मचारियों, रोएथलिसबर्गर और डिक्सन, व्यावहारिक प्रयोगों का आयोजन किया।इससे मेयो को प्रबंधकों यह कैसे व्यवहार करना चाहिए के बारे में कुछ कटौती करने का सक्षम मिला। उन्होने कई जांच पडताल किये उत्पादकता में सुधार करने के लिए जैसे कि कार्यस्थल में प्रकाश व्यवस्था की स्थिति बदलना। उन्होने यह पाया कि काम की संतुष्टि के कार्य समूह की अनौपचारिक सामाजिक तर्ज पर एक बडे हद तक निर्भर है। उन्होने आगे भी कई प्रयोग किये यह जाने के लिये क्या प्रभाव थकान और एकरसता काम उत्पादकता पर पड़ता था और उसे काम के बिच मे कुछ समय के लिये आराम देना और तापमान और आर्द्रता के माध्यम से नियंत्रित किया जाये। मेयो मानव संबंध आंदोलन के संस्थापक के रूप में और अपने अनुसंधान जो हव्थ्रोन की पढ़ाई पर आधारित है उस के लिये जाने जाते हैं।

        उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि लोगों के काम के प्रदर्शन दोनों सामाजिक मुद्दों और नौकरी सामग्री पर निर्भर है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को 'भावना के तर्क' और 'प्रबंधकों जो संगठनों के भीतर संघर्ष का नेतृत्व कर सकता है 'लागत और दक्षता के तर्क' के बीच एक तनाव का सुझाव दिया।

आलोचना[संपादित करें]

प्रबंधन के सिद्धांत को मेयो के योगदान बौद्धिक डेनियल बेल द्वारा आलोचना की गई। १९४७ में लेखन, बेल "मशीनों के लिए पुरुषों का समायोजन," के बजाय मानव क्षमता या मानव स्वतंत्रता के विस्तार के लिए मेयो और अन्य सामाजिक वैज्ञानिकों की आलोचना की। रेइनहार्ड बेंडेक्स और लॉयड एच फिशर सहित कई के अपने परिणामों सामान्यीकरण के लिए मेयो की आलोचना की हव्थ्रोन पढ़ाई पर। दो राज्य है कि मेयो के अनुसंधान छोटे, पृथक समूहों का संबंध है, और यह स्पष्ट नहीं था कि स्थिति और पर्यवेक्षण वह हासिल कर सकता है बड़े समूहों और कारखाना सेटिंग्स में दोहराया गया है।

निष्कर्ष[संपादित करें]

कई आलोचना के होते हुए भी जॉर्ज एल्टन मेयो को "मानव संसाधन प्रबंधन" के जनक माने जाते है।

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 नवंबर 2016.