जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट

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जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट कोई भी ऐसा कचरा है जिसमें संक्रामक या संभावित संक्रामक सामग्री होती है। ये अपशिष्ट मनुष्यों और जानवरों के निदान, उपचार और टीकाकरण के दौरान उत्पन्न होते हैं।‌‌ जैविक चिकित्सीय कचरा ठोस और तरल दोनों रूपों में हो सकता है। जैविक चिकित्सीय कचरे के निम्नलिखित उदाहरण हैं : बेकार नुकीले उपकरण जैसे सुई, लैंसेट, सीरिंज, स्केलपेल और टूटा हुआ काँच इत्यादि।

जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट के प्रकार[संपादित करें]

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस प्रकार के अपशिष्ट को आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। वे हैं :

  1. संक्रामक अपशिष्ट—कोई भी जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट जो संक्रामक या दूषित हो।
  2. तीव्र निदान अपशिष्ट—सुई, स्केलपेल, टूटा हुआ काँच और लेजर जैसी वस्तुएँ।
  3. रक्त परीक्षण अपशिष्ट—मनुष्यों या जानवरों के शरीर के अंग, जिनमें ऊतक, तरल पदार्थ या रक्त शामिल हैं।
  4. उपयोगहीन दवाओं से फैलने वाला अपशिष्ट—अप्रयुक्त दवाएँ, या क्रीम जो उपयोग करने के निर्धारित समय से समाप्त हो गयी हो।
  5. जीनोटॉक्सिक अपशिष्ट—जहरीली दवाएँ और खतरनाक विषाक्त अपशिष्ट।
  6. रेडियोधर्मी अपशिष्ट—संभावित रेडियोधर्मी सामग्री वाला कोई भी अपशिष्ट।
  7. रासायनिक अपशिष्ट—मशीनों, बैटरियों और कीटाणुनाशकों से निकलने वाला तरल अपशिष्ट रासायनिक होता है।
  8. सामान्य/अन्य अपशिष्ट—अन्य सभी गैर-खतरनाक अपशिष्ट।

जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट के प्रभाव[संपादित करें]

कोविड-19 के प्रकोप के कारण जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट में असहनीय वृद्धि हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीबीसी) ने जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट निपटान पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। दिशानिर्देशों के अनुसार, जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट को पीले डब्बे में एकत्र किया जाता है। फिर डब्बे को सामान्य जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट उपचार सुविधा (सीबीडब्ल्यूटीएफ) या अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र में ले जाया जाता है। वहाँ उनसे ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए भस्म कर दिया जाता है, या जला दिया जाता है।[1]

इसके अलावा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी॰पी॰सी॰बी॰)[2] ने जैविक चिकित्सीय कचरे को उनकी प्रकृति के अनुसार निपटाने के लिए अलग-अलग रंग के डिब्बे नामित किए हैं।

  1. पीला डब्बा : शारीरिक अपशिष्ट, रासायनिक अपशिष्ट, गंदा अपशिष्ट, कीमोथेरेपी अपशिष्ट, छोड़े गए लिनन और दवाओं, और प्रयोगशाला अपशिष्ट के लिए।
  2. लाल डब्बा : दूषित प्लास्टिक कचरे के लिए।
  3. नीला डब्बा : काँच के कचरे और धातु प्रत्यारोपण के लिए।
  4. ब्लैक डब्बा : खतरनाक और अन्य कचरे के लिए।

प्रत्येक डिब्बे में मौजूद कचरे के उपचार और निपटान के तरीके अलग-अलग होते हैं।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "बी॰एम॰डब्ल्यू॰ अधिनियम और प्रक्रिया।".
  2. "केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यक्रम/परियोजनाएँ > अपशिष्ट > जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट". मूल से 2017-11-28 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-12-03.