जाँ फ़ांस्वा शाँपोलियों

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जाँ फ़ांस्वा शाँपोलियों
Jean-François Champollion
Painting of a young man with dark hair and a beard, on a desert background
Jean-François Champollion, by Léon Cogniet
जन्म 23 December 1790
Figeac, Kingdom of France
मृत्यु 4 मार्च 1832(1832-03-04) (उम्र 41)
Paris, July Monarchy
नागरिकता French
क्षेत्र Egyptian hieroglyphs
शिक्षा Collège de France
Institut national des langues et civilisations orientales
प्रसिद्धि Decipherment of Egyptian hieroglyphs

जाँ फ़ांस्वा शाँपोलियों (Jean-François Champollion ; 23 दिसम्बर 1790 - 4 मार्च 1832),एक फ्रान्सीसी विद्वान, भाषाविद थे जिन्होने मिस्री चित्रलिपि को पढने में सफलता पायी। वे मिस्री पुरातत्व के संस्थापक के रूप में प्रख्यात हैं। मिस्री लिपि की कुंजी 'राज़ेता स्टोन' को पढ़ने का श्रेय टॉमस यंग के साथ इनको ही है।

जाँ फ़ांस्वा शाँपोलियों ने सोलह वर्ष की उम्र में ग्रीनोब्ल की अकादमी के सम्मुख एक लेख पढ़ा जिसमें कोप्ती मिस्र की प्राचीन भाषा स्वीकार की गई थी। इस लेख ने लोगों का ध्यान मिस्री विद्या की ओर आकृष्ट किया। वस्तुतः इससे मिस्री पुरातत्व का वैज्ञानिक अध्ययन प्रारम्भ होता है। शीघ्र ही वे पेरिस जा पहुँचे जहाँ ग्रीनोब्ल की एक साहित्यिक संस्था द्वारा १८०९ ई. में इतिहास के प्राध्यापक पद पर नियुक्त होकर सम्मानित हुए। इन्होंने मिस्री चित्रलेख की कुंजी १८२१ में प्रस्तुत की। १८२४ में चार्ल्स १०वें की आज्ञा से इटली के संग्रहालयों में संगृहीत मिस्री पुरावशेषों के अध्ययनार्थ इन्हें जाना पड़ा। वहाँ से लौटने पर लूब्र के मिस्री संग्रहालय के ये डायरेक्टर बने। १८२८ में मिस्र के पुरावशेषों का वैज्ञानिक अध्ययन करने का भार इन्हें सौंपा गया। १८३१ में कालेज द फ्रांस में मिस्र के पुरातत्व प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए और मृत्यु के पूर्व तक मिस्री खोजों के निष्कर्षों को प्रकाशित करने में व्यस्त रहे।

सन्दर्भ[संपादित करें]