जनवारीनाथ धाम

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उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की एक तहसील लम्भुआ के सैतापुर सराय गांव में जनवरी नाथ धाम नामक पौराणिक तीर्थ स्थल वह जगह है जहां पर ,पुरुषोत्तम श्री राम भगवान ,रावण का वध करने के बाद धोपाप में अपने पापों  को ब्रहम हत्या से मुक्ति ,पाने के बाद ,आकाशवाणी होने पर भगवान श्री शंकर देवों के देव की पूजा अर्चना किए थे। इसी जगह को बाबा जनवरीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है, जो भी श्रद्धालु बाबा का दर्शन करने आते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान श्री राम को लंकापति रावण के वध के उपरांत ब्रम्ह हत्या लगा, क्योंकि रावण ब्राम्हण था। इस ब्रम्ह हत्या की मुक्ति के लिए भगवान श्री राम के कुल गुरु ने उपाय बताया। भगवान श्री राम ब्रम्ह हत्या से मुक्ति के लिए एक स्थान ( धोपाप ) पर स्नान किये और दूसरे स्थान (बाबा जनवरीनाथ धाम) पर शिवलिंग की स्थापना किये थे।

सैतापुर सराय गांव में घने जंगल के बीच बाबा जनवारीनाथ धाम मंदिर स्थित है। परिसर में स्थित शिवलिंग की स्थापना का कोई ज्ञात स्रोत नहीं है। लिहाजा, इसे श्रद्धालु स्व प्रगटित शिवलिंग के रूप में पूजते हैं।

ऐसे पहुंचें बाबा के दरबार : बस और ट्रेन से लम्भुआ पहुंच कर सैतापुर सराय गांव तक बाइक व साइकिल से पहुंचा जा सकता है। तमाम लोग पैदल ही कस्बे से भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने जाते हैं। कहते हैं जो भी यहां सच्‍चे दिल से भगवान शिव की अराधना करता है उसकी सभी मनोाकमनाएं पूरी होती हैं।

कई दशक से यह धाम इलाके के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। प्रत्येक सोमवार और शनिवार के अलावा सावन व अधिक मास में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन को आते हैं। सावन के बाद कांवड़िया संघ विशाल भंडारे का भी आयोजन करता है।

ऐसी है मान्यता : धाम परिसर में स्थित शिवलिंग की स्थापना का कोई ज्ञात स्रोत नहीं है। कस्बे और आसपास के गांवों से नियमित जलाभिषेक के लिए भक्त प्रत्येक सोमवार और शनिवार को यहां पहुंचते हैं। सावन को पड़ने वाले सोमवारों में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। मान्यता है कि शिवलिंग को जिसने भी छत से ढकने की कोशिश की, उसका अनिष्ट ही हुआ। इस वजह से धाम के गर्भ गृह में मौजूद शिवलिंग खुले आसमान के नीचे विद्यमान हैं। भोलेनाथ के विग्रह के ऊपर पीपल के विशालकाय वृक्ष की छाया हमेशा बनी रहती है।