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चिट्ठाजगत

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
हेड-अप डिस्प्ले के साथ एक पहनने योग्य कंप्यूटर से वास्तविक समय, 22 फरवरी, 1995
चिट्ठा - हेड-अप डिस्प्ले के साथ एक पहनने योग्य कंप्यूटर से वास्तविक समय, 22 फरवरी, 1995

चिट्ठाजगत (अथवा ब्लॉगजगत) अन्तर्जाल पर मौजूद चिट्ठों की आभासी दुनिया को कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे ब्लॉगोस्फीयर कहा जाता है। हिन्दी के लिये चिट्ठाजगत शब्द प्रथम हिन्दी चिट्ठाकार आलोक कुमार द्वारा प्रतिपादित शब्द चिट्ठा से बना है।

चिट्ठाजगत विभिन्न चिट्ठों तथा उनके परस्पर लिंकों से बना है। यह शब्द बताता है कि चिट्ठे एक परस्पर लिंकित समुदाय (अथवा समुदायों के समूह) की तरह है अथवा एक सोशल नेटवर्क है जहाँ कि सभी लेखक (चिट्ठाकार) अपनी राय प्रकाशित कर सकते हैं।

ब्लॉगोस्फीयर शब्द १० सितम्बर १९९९ को enBrad L. Graham, द्वारा एक मजाक[1] It was re-coined in 2002 by William Quick,[2] प्रतिपादित किया गया था तथा warblog समुदाय के द्वारा तत्काल ग्रहण एवं प्रचारित कर दिया गया। यह शब्द पुराने शब्द लोगोस्फीयर (यूनानी शब्द लोगोज अर्थात शब्द, तथा स्फीयर, अर्थात दुनिया), यानि कि "शब्दों की दुनिया") [तथ्य वांछित] से मिलता-जुलता है।

इस शब्द मजाकिया होने के बावजूद, सीऍनऍन, बीबीसी तथा नेशनल पब्लिक रेडियो के प्रोग्राम enMorning Edition, enDay To Day, तथा enAll Things Considered ने इसे जनता की राय के बारे में चर्चा करने के लिये कई बार प्रयोग किया। A number of media outlets in recent years have started treating the blogosphere as a gauge of public opinion, and it has been cited in both academic and non-academic work as evidence of rising or falling resistance to globalization, voter fatigue, and many other phenomena,[3] and also in reference to identifying influential bloggers[4] and "familiar strangers" in the blogosphere.[5][6]

हिन्दी में ब्लॉगोस्फीयर के लिये चिट्ठाजगत शब्द प्रचलित है। यह शब्द चिट्ठा (अर्थात ब्लॉग) और जगत (अर्थात दुनिया) का पोर्टमॅण्टू है, यानि कि ब्लॉगों की दुनिया

ट्रैकिंग

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टैक्नोराती, ब्लॉगपल्स, टेलरैंक तथा ब्लॉगस्कोप चिट्ठाकारों के मध्य परस्पर संवाद को ट्रैक करती हैं। चिट्ठाकारों द्वारा चर्चा किये जा रहे विषयों के लिये जो हाइपरलिंक मार्कर का काम कर रहे हों, उनका प्रयोग करके ये साइटें एक चिट्ठे से दूसरे चिट्ठे पर चल रहे संवाद को ट्रैक करती हैं। इसका एक उदाहरण हिन्दी चिट्ठाकारों द्वारा टैक्नोराती के प्रयोग से अनुगूँज का आयोजन है।

These also can help information researchers study how fast a meme spreads through the blogosphere, to determine which sites are the most important for gaining early recognition.[7] Sites also exist to track specific blogospheres, such as those related by a certain genre, culture, subject matter or geopolitical location.

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "The BradLands: Must See http://". मूल से 8 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2009.
  2. DailyPundit.com (via Internet Archive)
  3. Blogosphere: The new political arena Archived 2011-07-13 at the वेबैक मशीन, Michael Keren, 2006.
  4. Nitin Agarwal, Huan Liu, Lei Tang, and Philip Yu. "Identifying Influential Bloggers in a Community", First International Conference on Web Search and Data Mining (WSDM08), February 11-12, Stanford, California.
  5. Nitin Agarwal, Huan Liu, John Salerno, and Philip Yu. "Searching for 'Familiar Strangers' on Blogosphere: Problems and Challenges", NSF Symposium on Next-Generation Data Mining and Cyber-enabled Discovery and Innovation. October 10-12, Baltimore, MD.
  6. Nitin Agarwal, Huan Liu, Sudheendra Murthy, Arunabha Sen, and Xufei Wang. "A Social Identity Approach to Identify Familiar Strangers in a Social Network", 3rd Int'l AAAI Conference on Weblogs and Social Media, May 17 - 20, 2009, San Jose, California.
  7. Investigating the Impact of the Blogosphere: Using PageRank to Determine the Distribution of Attention Archived 2007-11-27 at the वेबैक मशीन, Kirchhoff, Bruns & Nicolai, 2007.