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गंदमक की संधि

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गंदमक की संधि ब्रिटिश भारत तथा अफ़गान अमीर याकुब ख़ान के बीच सन् 1879 में 26 मई को हुई थी जिसमें ब्रिटिश अफ़गान क्षेत्रों पर और आक्रमण नहीं करने पर सहमत हुआ था जिसके एवज़ में उनको सीमान्त अफ़ग़ान क्षेत्रों पर अधिकार मिल गया। इसके साथ ही याक़ुब ख़ान सभी आक्रांताओं और उनके साथियों को क्षमादान देने पर राज़ी हुआ था। ब्रिटिश याक़ूब को सालाना 60000 रुपये देने पर सहमत हुए थे।

जब इसी संधि के तहत पियरे केवेग्नेरी काबुल जुलाई में पहुँचे तो दो महीने बाद एक विद्रोही अफ़ग़ान टुकड़ी ने हेरात से आकर उनके दल पर हमला बोला और केवेन्गेरी सहित कईयों को मार डाला। इसके बाद द्वितीय आंग्ल अफ़ग़ान युद्ध का दूसरा चरण आरंभ हुआ था।