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क्लैमिडिया संक्रमण

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साँचा:एचआइवी-सम्बंधित जानकारी

क्लैमाइडिया
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
पैप स्मियर पर सी. ट्रैकोमाइटिस (एच.& ई स्टेन)
आईसीडी-१० A55.-A56.8, A70.-A74.9
आईसीडी- 099.41, 483.1
डिज़ीज़-डीबी 2384
ईमेडिसिन med/340 
एम.ईएसएच D002690
स्त्री रोगी में क्लेमाइडियल सर्विसाइटिस (गर्भाशय ग्रीवा संक्रमण)
पुरुष रोगी में श्वेत, बादली जल स्राव, शिश्न के मुख पर

क्लैमिडिया एक सामान्य यौन संचारित रोग (एसटीडी) है जो क्लैमिडिया ट्राकोमोटिस जीवाणु से होता है और यह महिला के प्रजनन इंद्रियों को क्षति पहुंचाता है। क्लैमिडिया योनिक, गुदा मैथुन या मुख मैथुन से संचारित हो सकता है। क्लैमिडिया संक्रमित मां से उसके बच्चे में योनि से जन्म लेते समय लग सकता है। यौनिक सक्रिय व्यक्ति में क्लैमिडिया संक्रमित हो सकता है।

महिलाओं में

महिलाओं को गर्भाशय ग्रीवा और मूत्र मार्ग में सबसे पहले यह रोग संक्रमित करता है। जिस महिला में यह रोग पाया जाता है उसके योनि से असामान्य रूप से स्राव हो सकता है या पेशाब करते समय जलन हो सकती है। जब संक्रमण ग्रीवा से गर्भ नली (अंडाशय से गर्भाशय तक अंडों को ले जाने वाला ट्यूब) तक फैलता है, तो भी किसी-किसी महिला में इसके न तो कोई संकेत पाए जाते हैं और न ही कोई लक्षण दिखाई देते हैं; किसी-किसी को पेट और कमर में दर्द होता है, मिचली आती है, बुखार होता है, संभोग के समय दर्द होता है या मासिक धर्म के बीच में खून निकलता है।

पुरुषों में

जिन पुरुषों को यह बीमारी होती है उनके लिंग से स्राव हो सकता है या पेशाब करते समय जलन हो सकती है। पुरुषों को लिंग के रंध्र (ओपनिंग) के आसपास जलन या खुजली हो सकती है।

यदि उपचार न किया गया तो क्लैमिडिया के संक्रमण से गंभीर प्रजनन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती है जो कम अवधि से लेकर लंबी अवधि के भी हो सकते हैं। महिलाओं का यदि उपचार न किया गया तो संक्रमण गर्भाशय से होते हुए गर्भ नलियों तक फैल सकता है जिससे श्रोणि जलन की बीमारी (पीआईडी) हो सकती है। क्लैमिडिया से संक्रमित महिला में यदि उपचार न किया जाए तो एचआईवी से संक्रमित होने के अवसर ५ गुना अधिक बढ़ जाते हैं जबकि पुरुषों में इसके अनुपात में जटिलताएं बहुत कम हैं।

यौन संचारित बीमारी की रोकथाम का सबसे अच्छा उपाय है कि संभोग न किया जाए या फिर ऐसे साथी के साथ आपसी एक संगी संबंध रखा जाए जिसे यह बीमारी नहीं है।