कूपमण्डूक

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कूपमण्डूक / कूपमण्डूक-न्याय (कूपमण्डूक = कुएँ का मेढक) संस्कृत भाषा की एक अभिव्यक्ति है, जिसका अर्थ है "कुएं का मेंढक"। [1] इस वाक्यांश का उपयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जिसके अनुभव/ज्ञान/देखने का क्षेत्र अत्यन्त सीमित हो। ऐसा व्यक्ति मूर्खतापूर्ण ढंग से अपने ज्ञान की सीमाओं को सभी मानव ज्ञान की सीमा बनाने की कल्पना करता है (ठीक उसी तरह जैसे एक मेंढक कल्पना करता है/होगा कि वह जिस कुएँ में रहता है, वह पानी का सबसे बड़ा भंडार है ; वह महासागर जितनी विशाल किसी चीज़ की कल्पना करने में असमर्थ होता है)। इसी प्रकार जब ऐसा कोई मेंढक अपने कुएं से ऊपर देखता है, और आकाश का एक छोटा सा घेरा देखता है, तो वह कल्पना कर सकता है कि यही संपूर्ण आकाश है। वह कुएं की दीवारों के बाहर मौजूद अन्य प्राणियों के अस्तित्व से अनजान होता है। [2]

उदाहरण के लिये महाभारत के उद्योगपर्व में निम्नलिखित श्लोक देखिये-

किं दर्दुरः कूपशयो यथेमां न बुध्यसे राजचमूं समेताम्।
दुराधर्षां देवचमूप्रकाशां गुप्तां नरेन्द्रैस्त्रिदशैरिव द्याम्॥१०२॥
प्राच्यैः प्रतीच्यैरथ दाक्षिणात्यैरुदीच्यकाम्भोजशकैः खशैश्च ।
साल्वैः समत्स्यैः कुरुमध्यदेश्यैर्म्लेच्छैः पुलिन्दैर्द्रविडान्ध्रकाञ्च्यैः ॥१०३॥
जैसे देवता स्‍वर्ग की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्‍तर दिशाओं के नरेश तथा काम्बोज, शक, खश, शाल्व, मत्स्य, कुरु और मध्‍यप्रदेश के सैनिक एवं मलेच्‍छ, पुलिन्‍द, द्रविद, आन्‍ध्र और कांचीदेशीय योद्धा जिस सेना की रक्षा करते हैं, जो देवताओं की सेना के समान दुर्धर्ष एवं संगठित है, कौरवराज की समुद्रतुल्‍य उस सेना को क्‍या तुम कूपमण्‍डूक की भाँति अच्‍छी तरह समझ नहीं पाते हैं?

इसी तरह,

अनेकाश्चार्य-भूयिठां यो न पश्यति मेदिनीम् ।
निजकान्ता-सुखासक्तः स नरः कूप-दर्दुरः ॥ -- सम्यकत्व-कौमुदी
अपनी स्त्री के सुख में आसक्त हुआ जो पुरुष अनेक आश्चर्यों से भरी हुई पृथ्वी को नहीं देखता है, वह कूपमण्डूक है।

तथा

यो न निर्गत्य निःशेषां विलोकयति मेदिनीं ।
अनेकाद्भुतवृत्तांतां स नरः कूपदर्दुरः ॥ -- उपमितिभवप्रपञ्च
जो कभी बाहर निकलकर सम्पूर्ण पृथ्वी को और अनेक अद्भुत वृत्तान्तों को नहीं देखता, वह मनुष्य कुएँ का मेढ़क है।

मोहम्मद बकरी मूसा ने इसकी तुलना मलय भाषा के वाक्यांश "कटक दी बावह टेम्पुरोंग" (नारियल के खोल के नीचे बैठा मेंढक) से की है। [3] कूपमंडूक की कहानी भारत में बच्चों को प्रायः सुनाई जाती है और कई लोककथाओं का हिस्सा है। [4] चीनी लोककथाओं में भी एक समान मुहावरा ( चेंगयु , zh:井底之蛙) का उपयोग किया जाता है। [5]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "Kupa-manduka-nyaya: the logic of the frog in the well (Books) - Vaniquotes". www.vaniquotes.org. अभिगमन तिथि 29 December 2020.
  2. Pattanaik, Devdutt (2011-09-08). "Frog in the well". The Times of India. मूल से 2013-06-28 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 June 2013.
  3. Mohammad Bakri Musa (2002). Malaysia in the Era of Globalization. iUniverse. पृ॰ 459. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-595-23258-1. अभिगमन तिथि 25 June 2013.
  4. Ramanujan, A.K. (13 January 1994). Folktales from India (The Pantheon Fairy Tale and Folklore Library. New York: Pantheon books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0679748326.
  5. Tsai, Irene (28 July 2008). The Frog in the Well (Chinese - English bilingual book) (Chinese Edition) (English and Chinese Edition) (1st संस्करण). Hong Kong: CE Bilingual Books LLC. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0980130515.