कूटसाक्ष्य

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कूटसाक्ष्य या मिथ्या साक्ष्य किसी कानूनी मामले में निर्णय के प्रभाव हेतु अवैध रूप से निर्मित या प्राप्त सूचना है। किसी मामले में किसी भी पक्ष द्वारा ( आपराधिक मामले में पुलिस/अभियोजन सहित) या दोनों पक्षों के प्रति सहानुभूति रखने वाले किसी व्यक्ति द्वारा कूटसाक्ष्य बनाए जा सकते हैं। साक्ष्य को दबाकर विभ्रम भी कूटसाक्ष्य का एक रूप माना जा सकता है (लोप से); तथापि, कुछ मामलों में, दमित साक्ष्य को बाहर रखा जाता है क्योंकि यह प्रमाणित नहीं किया जा सकता है कि आरोपी को प्राप्त वस्त्वों या उनके स्थान के बारे में ज्ञान था। साक्ष्य का विश्लेषण (न्यायिक साक्ष्य) भी जाली हो सकता है यदि न्यायिक कार्य करने वाले व्यक्ति को इसमें शामिल वास्तविक कार्य करने की तुलना में साक्ष्य और परीक्षण के परिणाम छलरचना आसान लगता है। समानांतर निर्माण कूटसाक्ष्य का एक रूप है जिसमें साक्ष्य सत्य है किन्तु इसकी उत्पत्ति का वर्णन गलत तरीके से किया गया है, ताकि अवैध खोज जैसे खरीद के गैरकानूनी साधनों के कारण साक्ष्य को अस्वीकार्य के रूप में बाहर रखा जा सके।

सन्दर्भ[संपादित करें]