कीमोथेरेपी

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रसोचिकित्सा (अंग्रेज़ी: chemotherapy) या रासाय चिकित्सा या रसायन चिकित्सा या कीमोथेरेपी एक ऐसा औषधीय उपचार है जो कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दिया जाता है। कीमोथेरेपी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - कैमिकल अर्थात् रसायन और थेरेपी अर्थात् उपचार। किस को किस प्रकार की कीमोथेरेपी दी जाए, इसका निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार का कैंसर है। कीमोथेरेपी अकेले भी दी जा सकती है या सर्जरी अथवा रेडियोथेरेपी के साथ भी।

कीमोथेरेपी कैसे दी जा सकती है?[संपादित करें]

कीमोथेरेपी अनेक तरीकों से दी जा सकती है, इसे देने की सबसे आम विधियां हैं-

  • ड्रिप की सहायता से नस में एक सुई के द्वारा
  • एक गोली या द्रव के रूप में मुंह द्वारा
  • एक छोटे से पम्प के जरिए, जो एक विशेष लाइन द्वारा, जिसे पीआईसीसी या हिकमैन लाइन कहते हैं, कीमोथेरेपी शरीर के अन्दर पहुंचाता है (यह पम्प कमर में बंधे एक छोटे से बैग में रखा होता है)

कीमोथेरेपी कितने अन्तराल पर दी जा सकती है?[संपादित करें]

आपके उपचार के आधार पर यह विभिन्न अन्तरालों पर दी जा सकती है, जैसे-रोजाना, साप्ताहिक रूप से, प्रत्येक दो/तीन सप्ताह पर या लगातार।

उपचार के फायदे[संपादित करें]

कीमोथेरेपी के फायदे इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको किस प्रकार का कैंसर है और वह कितना बढ़ चुका है। कीमोथेरेपी के उद्देश्यों में निम्नलिखित बातें शामिल हैं-

  • कैंसर की सभी कोशिकाओं को नष्ट करते हुए कैंसर से मुक्ति दिलाना
  • कैंसर के वापस लौटने की गुंजाइश को कम करने के लिए कैंसर की ऐसी सभी कोशिकाओं को नष्ट करना जो शरीर में मौजूद तो होती हैं, पर इतनी छोटी होती हैं कि उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है
  • सर्जरी या रेडियोथेरेपी से पहले कैंसर के प्रभाव को कम करना
  • सम्भावित रोग लक्षणों से राहत के लिए कैंसर के बढ़ने और फैलने पर रोक लगाना
  • रेडिएशन के प्रभाव को बढाना

कीमोथेरेपी के सम्भावित नुकसान क्या हैं?[संपादित करें]

कीमोथेरेपी उपचार के अनेक सम्भावित दुष्परिणाम हैं। ये दुष्परिणाम आपको सुझाई गई कीमोथेरेपी के प्रकार पर निर्भर करेंगे।

रक्त कोशिकाओं पर कीमोथेरेपी का प्रभाव[संपादित करें]

मुख्यतः रक्त कोशिकाएं तीन प्रकार की होती हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • सफेद रक्त कोशिकाएं
  • लाल रक्त कोशिकाएं
  • प्लेटलेट्स

कीमोथेरपी उपचार द्वारा आपकी रक्त कोशिकाओं की संख्या घट सकती है। इसलिए आपके रक्त की जांच नियमित तौर पर की जाएगी। इन जांचों में सफेद कोशिकाओं, लाल कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की संख्या देखी जाएगी।

सफेद कोशिकाएं-

यदि कीमोथेरपी उपचार द्वारा आपकी सफेद कोशिकाएं घट गई हैं, तो आपकेशरीर में संक्रमण से लडने की क्षमता कम हो जाएगी। आपको संक्रमण हुआ है, यह जानने का एक तरीका है आपके शरीर के तापमान का बढ़ना। यदि आपके शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक है, अथवा आपको गले में घाव होने, खांसी, जुकाम या दस्त जैसे संक्रमण के कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो आपको तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। यदि आपकी सफेद रक्त कोशिकाएं बहुत कम हैं तो आपका उपचार कुछ समय के लिए टालना पड़ सकता है।

लाल रक्त कोशिकाएं-

ये कोशिकाएं शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। अगर ये कम हो जाएं तो आप थकान और पीलेपन का अनुभव कर सकते हैं, जिसे रक्तअल्पता (एनीमिया) के नाम से जाना जाता है। यदि आपकी लाल कोशिकाएं सामान्य स्तर से नीचे हैं, तो आपको खून चढवाने की जरूरत पड़ सकती है।

प्लेटलेट्स-

ये कोशिकाएं खून के बहाव को बांधे रखती हैं, उदाहरण के लिए जब आपका कोई अंग थोडा सा कट जाता है तो खून के बहाव को ये कोशिकाएं ही बांधती हैं। यदि कीमोथेरेपी के कारण आपकी प्लेटलेट्स बहुत कम हो गई हैं तो आप देखगे कि आपको आसानी से खरोंचें लग जाती हैं, अथवा आपकी नाक या मसूड़ों से खून बहता है। यदि आपकी प्लेटलेट्स संख्या सामान्य स्तर से नीचे हैं, तो आपको प्लेटलेट्स चढवाने की जरूरत पड़ सकती है, अन्यथा हो सकता है कि हमें आपका उपचार कुछ समय के लिए टालना पड़े।

मुंह पर कीमोथेरेपी उपचार का प्रभाव[संपादित करें]

कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के साथ-साथ कीमोथेरेपी उपचार आपके मुंह के अन्दर की कोशिकाओं को भी नष्ट कर सकता है। इससे आपका मुंह लाल पड़ सकता है और आपको मुंह में घाव होने और बेचैनी का एहसास हो सकता है, साथ ही आपके मुंह में संक्रमण होने की सम्भावनाएं भी बढ़ सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप उपचार के दौरान अपने मुंह का विशेष रूप से ध्यान रखें।

जितना अधिक संभव हो सके आपको अपना मुंह उतना साफ रखना चाहिए। हर बार खाना खाने के बाद एक मुलायम दातून और फ्लुओराइड युक्त मंजन से अपने दांत साफ करें। यदि आपके मसूड़ों में घाव है, तो संवेदनशील दांतों के लिए प्रयुक्त होने वाला मंजन इस्तेमाल करें। मसूड़ों से शुरू करते हुए नीचे की ओर ब्रश करते हुए अपने दांतों को कोमलता से साफ करें। यदि आपकी जुबान पर ज्यादा घाव नहीं हैं तो आपको अपनी जीभ भी कोमलतापूर्वक साफ करनी चाहिए।

यदि आप नकली दांत लगाते हैं, तो आपको उन्हें दिन में दो बार साफ करना चाहिए और खाने के बाद अच्छी तरह धोना चाहिए। उन्हें रात भर पानी में भिगो कर रखना चाहिए और उन्हें विसंक्रमित करने के लिए आपको हफ्ते में एक बार किसी जीवाणुनाशक घोल का इस्तेमाल करना चाहिए।

अपने मुंह को ताजगी देने और नम रखने के लिए अधिक से अधिक मात्रा में द्रव पदार्थ पिएं। नमक के पानी से अपना मुंह साफ करना भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है (लगभग 500 मिली। कुनकुने पानी में एक चाय की चम्मच भर नमक घोलें, इससे अपना मुंह साफ करें/गरारा करें और फिर कुल्ला कर दें)। यदि आपको नमक का प्रयोग करना पसंद नहीं है तो आप ताजे पानी से भी ऐसा कर सकते हैं।

यदि आपके मुंह में घाव हो जाते हैं, मुंह में फोड़े पड़ जाते हैं या मुंह के छाले हो जाते हैं तो आपको इसकी जानकारी सीधे अपने डॉक्टर को देनी चाहिए। वह आपको कोई ऐसा उपाय बता सकता है जिससे आपको दर्द से राहत मिल सके।

भूख पर कीमोथेरेपी उपचार का प्रभाव[संपादित करें]

कभी-कभी कीमोथेरेपी उपचार आपकी भूख पर असर डाल सकती है। इसके फलस्वरूप आपका वजन घट या बढ़ सकता है। यदि आपको अपने कीमोथेरेपी उपचार के दौरान खाने-पीने के बारे में किसी तरह की सलाह की जरूरत हो, तो आप अपने डॉक्टर या नर्स से यह कह सकते हैं कि वह आपको किसी डायटीशियन के पास भेज दे।

आपका स्वाद बदल सकता है, पर प्रायः उपचार पूरा होने के दो से तीन महीनों के भीतर वह फिर से सामान्य हो जाता है।

मिचली आना[संपादित करें]

कीमोथेरेपी उपचार की वजह से कभी-कभी मिचली (उल्टी आने का एहसास होना) और/अथवा उल्टी (सचमुच उल्टी होना) आ सकती है। कुछ कीमोथेरेपी उपचारों द्वारा अन्य की तुलना में मिचली आने की सम्भावना अधिक होती है। हांलाकि आजकल उल्टी होना एक असामान्य बात है क्योंकि आपको मिचली दूर करने वाली दवाइयां दी जाएंगी जो प्रायः बहुत अधिक प्रभावी होती हैं।

आंतों पर कीमोथेरेपी उपचार का प्रभाव[संपादित करें]

कुछ कीमोथेरेपी उपचार आपकी आंतों पर प्रभाव डाल सकते हैं, उदाहरण के लिए कीमोथेरेपी की कुछ औषधियों से दस्त और कुछ से कब्ज की शिकायत हो सकती है। कीमोथेरेपी की केवल कुछ गिनी-चुनी औषधियों से ही दस्त होते हैं और यदि आपको इनमें से कोई औषधि दी जा रही है, तो आपको विशिष्ट सलाह दी जाएगी। फिर भी, यदि आपको इन दोनों में से कोई भी परेशानी हो तो कृपया अपने डॉक्टर या नर्स को इसकी जानकारी दें क्योंकि आमतौर दवाओं द्वारा या आपके आहार में परिवर्तन करके इनका उपचार किया जा सकता है।

बाल[संपादित करें]

कीमोथेरेपी की कुछ औषधियों से बाल पतले हो सकते हैं, या दुर्भाग्यवश कुछ मामलों में पूरी तरह से बाल झडने की समस्या सामने आ सकती है। यह समस्या हमेशा अस्थाई होती है और आपका कीमोथेरेपी उपचार पूरा होने पर आपके बाल पुनः वापस आ जाएंगे। बाल झड़ने की समस्या कम करने के लिए कुछ प्रकार के कीमोथेरेपी उपचारों हेतु स्कैल्प कूलिंग का प्रयोग किया जा सकता है।

गर्भाधारण और जननक्षमता[संपादित करें]

ऐसी कोई वजह नहीं है कि संभोग से परहेज किया जाए, लेकिन हम कॉन्डोम इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। हो सकता है कि आपके शरीर से निकलने वाले द्रव में कीमोथेरेपी का कुछ अंश हो, अतः ऐसे में कॉन्डोम का प्रयोग आपके साथी को सुरक्षित रखेगा।

यह जरूरी है कि अपने उपचार के दौरान अथवा उपचार के बाद कम से कम छः महीने तक आप गर्भधारण न करें या यदि आप पुरूष हैं तो अपने साथी को गर्भवती न होने दें। इसका कारण यह है कि कीमोथेरेपी होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक हो सकती है।

कुछ कीमोथेरेपी उपचार आपकी जननक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। यह समस्या अस्थाई भी हो सकती है और स्थाई भी।

धूप से बचाव[संपादित करें]

कीमोथेरेपी की कुछ औषधियां आपकी त्वचा को धूप के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती हैं। यदि आपको इनमें से कोई औषधि दी जा रही है तो आपसे कुछ विशेष सावधानियां बरतने को कहा जाएगा। इसमें शामिल हैं धूप में रहने का समय कम करना, जहां कहीं सम्भव हो वहां छाया में रहना, हैट पहनना और धूप से बचाव करने वाली हाई फैक्टर क्रीम का इस्तेमाल करना।

थकान[संपादित करें]

कीमोथेरेपी से आपको आम दिनों की तुलना में अधिक थकावट का एहसास हो सकता है। यह जरूरी है कि आप अपने शरीर की जरूरत का ध्यान रखें और यदि आपको आराम की जरूरत हो तो आराम करें, लेकिन यदि आपको लगता है कि आप सामान्य रूप से कामकाज करने में सक्षम हैं तो ऐसा जरूर करें। कुछ लोगों को हल्का-फुल्का व्यायाम करना और साथ ही आराम करना फायदमंद लगता है।

त्वचा और तंतुओं को नुकसान[संपादित करें]

कीमोथेरेपी की कुछ औषधियां, जो ड्रिप में या सुई द्वारा दी जाती हैं, अगर आपकी नस के बाहर रिस जाएं तो त्वचा और उसके आस-पास के क्षेत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अत्यधिक दुर्लभ स्थितियों में ही ऐसा होता है, लेकिन यह जरूरी है कि जिस जगह आपको ड्रिप लगी है, यदि आपको वहां दर्द या जलन का एहसास होता है तो आप अपनी नर्स को तुरन्त इस बारे में जानकारी दें।

अन्य जानकारी[संपादित करें]

आपके उपचार के कई दिनों बाद तक आपके शरीर के द्रव पदार्थों (खून, पेशाब और उल्टी) में कुछ अंश में कीमोथेरेपी के तत्व मौजूद हो सकते है। हांलाकि इससे नुकसान पहुंचने का खतरा बहुत कम है, फिर भी यह जरूरी है कि दूसरों को कीमोथेरेपी के सम्पर्क में आने से बचाया जाए। इसलिए हमारी यह सलाह है कि आप टॉयलेट का इस्तेमाल करने के तुरन्त बाद पानी चला दें और अपने हाथ अच्छी तरह से धोएं। यदि शरीर के द्रव पदार्थ फैल गए हों अथवा आपका हाथ उन पर लग गया हो तो आपको रबड़ के दस्ताने पहनने चाहिएं।

कीमोथेरेपी उपचार कराने का मतलब यह नहीं है कि आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ करीबी सम्बन्ध नहीं रख सकते। इसमें चुम्बन लेना और गले लगना शामिल हैं।

फ्लू के टीके

कीमोथेरेपी कराने वाले सभी रोगियों को फ्लू होने का खतरा होता है। यदि आप शरद ऋतु में या सर्दियों के दौरान कीमोथेरेपी करा रहे हैं तो आपको फ्लू से प्रतिरक्षण की सलाह दी जाती है। उचित यह होगा कि आप अपना कीमोथेरेपी उपचार शुरू होने के 7-10 दिन पहले ही टीका लगवा लें। यदि आपकी कीमोथेरेपी शुरू हो गई है तो हो सकता है कि उतनी अच्छी तरह से आपका प्रतिरक्षण न हो सके क्योंकि तब प्रतिरक्षण के प्रति आपकी प्रतिक्रिया घटने की सम्भावना रहती है। इससे आपकेशरीर की रोगप्रतिकारक पैदा करने की क्षमता घटती है, जो आपको फ्लू से बचाने के लिए जरूरी हैं।

यदि आप कीमोथेरेपी के दौरान टीका लगवाते हैं, तो आपको ऐसा तब ही करना चाहिए जबकि आपकी सफेद कोशिकाओं की संख्या सामान्य स्तर पर आ जाए। यदि आपकी सफेद कोशिकाओं की संख्या कम है तो आपको टीका लगवाने से बचना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपके शरीर का तापमान बढ़ सकता है। इससे यह गलतफहमी हो सकती है कि आपको संक्रमण के कारण बुखार हो गया है और नतीजतन आपको बेवजह अस्पताल में इलाज कराना पड़ सकता है।

कीमोथेरेपी कराने के दौरान घर पर अस्वस्थ महसूस करना

कीमोथेरेपी कराने के दौरान यदि आप घर पर अस्वस्थ महसूस करें और आपको यह लगे कि ऐसा कीमोथेरेपी की वजह से हो रहा है तो आपको हमें तुरन्त सम्पर्क करना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि आपको निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण दिखाई दें-

  • 37.5 डिग्री सेल्सियस तक या उससे अधिक तापमान
  • उल्टी या दस्त
  • अप्रत्याशित रूप से खरोंचे आना या खून बहना
  • आमतौर पर अस्वस्थ महसूस करना/छाती में बलगम जमा होना या पेशाब समबन्धी दिक्कत होना

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]