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कल्पनालोकीय समाजवाद

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आधुनिक समाजवाद के प्रारम्भिक धाराओं को कल्पनालोकीय समाजवाद (Utopian socialism) कहा गया है। इनमें साँ सीमों (Saint-Simon), चार्ल्स फुरिये (Charles Fourier), और रॉबर्ट ओवेन आदि के समाजवादी विचार सम्मिलित किया गया है।

कार्ल मार्क्स (1818-83) के साथी एंगिल्स ने अपने पूर्व प्रचलित समाजवादी विचारों को काल्पनालोकीय समाजवाद (Utopian socialism) का नाम दिया। इन विचारों का आधार भौतिक और वैज्ञानिक नहीं, नैतिक था; इनके विचारक ध्येय की प्राप्ति के सुधारवादी साधनों में विश्वास करते थे; और भावी समाज की विस्तृत परंतु अवास्तविक कल्पना करते थे।

यद्यपि समाजवादी आंदोलन और समाजवादी शब्द का प्रयोग उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध से आरंभ हुआ तथापि ईसा से 600 वर्ष पूर्व भी समाजवादी विचारों का वर्णन मिलता है, परंतु प्लेटो सर्व प्रथम दार्शनिक है जिसने इन विचारों को स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया। वह न केवल संपत्ति के समान और सामूहिक प्रयोग के पक्ष में था वरन् व्यक्तिगत कौटुंबिक प्रथा का अंत कर स्त्रियों और बच्चों का भी समाजीकरण करना चाहता था। उसके साम्यवाद का आधार गुलाम प्रथा थी और वह केवल संकुचित शासक वर्ग तक सीमित था, अत: उसको अभिजाततंत्रीय समाजवाद कहा जाता है। मध्यकालीन विचारों में भी साम्य संबंधी धारणाएँ मिलती हैं, परंतु उस समय के विद्रोहों का आधार नैतिक और धार्मिक था।

आधुनिक काल के प्रथम चरण से विचारस्वातंत्र्य के कारण धर्मनिरपेक्ष चिंतन आरंभ हुआ और इस काल में टामस मोर (Thomas More, "यूटोपिया", 1516) और कंपानैला (Campanella, "सूर्यनगर" 1623) जैसे विचारकों ने साम्य के आधार पर समाज की कल्पना की, परंतु औद्योगिक क्रांति के पूर्व आधुनिक समाजवादी विचारों के लिए भौतिक आधार - पूँजीवादी शोषण और सर्वहारा वर्ग - संभव नहीं था। औद्योगिक क्रांति के साथ विज्ञानों का विकास हुआ और प्राचीन मान्यताओं तथा धार्मिक अंधविश्वासों का ह्रास होने लगा। इन परिस्थितियों में आधुनिक समाजवादी चिंतन का उदय हुआ।

इस काल का प्रथम समाजवादी विचारक फ्रांस-निवासी बाबूफ़ (Babeuf, 1764-97) था। वह भूमि के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में था तथा अपने व्यय की प्राप्ति क्रांति द्वारा करना चाहता था। अठारहवीं शताब्दी के अंत और उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ के अन्य प्रमुख फ्रांसीसी समाजवादी विचारक साँ सीमों (Saint Simon 1760-1825) और फ़ोरिए (Fourier 1772-1837) हैं। साँ सीमों संपत्ति पर सामाजिक अधिकार स्थापित करना चाहता था परंतु वह सबको समान वरन् श्रम के अनुसार वेतन के पक्ष में था। फ़ोरिए के विचार साँ सीमों से मिलते जुलते हैं, परंतु वह सहकारी संगठनों की कल्पना भी करता है।

उपर्युक्त फ्रांसीसी समाजवादियों के विचारों से ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमरीका भी प्रभावित हुए। ब्रिटेन का तत्कालीन प्रमुख समाजवादी विचारक रॉबर्ट ऑवेन (Robert Owen, 1771-1858) था। वह स्वयं एक मजदूर और बाद में सफल पूँजीपति, समाजसुधारक और मजदूर तथा सहकारी आंदोलनों का प्रवर्तक हुआ। उसका कथन था कि मनुष्य का स्वभाव परिस्थितियों से प्रभावित होता है। वह शिक्षा, प्रचार और समाज-सुधार द्वारा पूँजीवादी शोषण का अंत करना चाहता था। अपने विचारों के अनुसार उसने उपनिवेश स्थापित करने का प्रयत्न किया, परंतु असफल रहा; तथापि उसके विचारों का ब्रिटिश और संयुक्त राज्य अमरीका के मजदूर आंदोलनों पर गहरा प्रभाव पड़ा। ऑवेन की भाँति काबे (Cabet, 1781-1856) ने भी संयुक्त राज्य अमरीका में समाजवादी उपनिवेश स्थापित किए परंतु उसके प्रयत्न भी सफल न हो सके।

ऑवेन के बाद ब्रिटेन में मजदूरों के अंदर चार्टिस्ट, (Chartist) विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ। यह आंदोलन मताधिकार प्राप्त कर संसद् पर अधिकार स्थापित करना और इस प्रकार राज्यशक्ति प्राप्त करने के बाद आर्थिक तथा सामाजिक सुधार करना चाहता था। आगे चलकर फेबियन तथा अन्य समाजवादियों ने इस संवैधानिक मार्ग का आश्रय लिया। परंतु फ्रांसीसी समाजवादी लुईज्लाँ (Louis Blonc, 1811-1882) क्रांतिकारी था। वह उद्योगों के समाजीकरण ही नहीं, मजदूरों के काम करने के अधिकार का भी समर्थक था। ""प्रत्येक अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य करे और प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार प्राप्ति हो"" उसने इस साम्यवादी विचार का प्रचार किया।