कर्ष
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कर्ष या कार्षापण एक प्राचीन भारतीय सिक्का था।[1]
कार्षापण सिक्कों का इतिहास हमे पुरातात्विक साक्ष्यों और प्राचीन ग्रंथो जैसे कि जातक, पाणिनि के अष्टाध्यायी, तथा चाणक्य के अर्थशास्त्र में रजत और ताम्र के सिक्कों को "कार्षार्पण" कहा गया है। मनु तथा याज्ञवल्क्य के अनुसार ताम्र कार्षापण ८० (80) गुंजे या रत्ती के बराबर भार वाला होता था।[2]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- अन्य लेख
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ प्राचीन भारतीय मुद्राएँ (पृष्ट २३) Archived 2016-04-20 at the वेबैक मशीन (गूगल पुस्तक ; लेखक - राजवन्त राव , प्रदीप कुमार राव)
- ↑ नन्द-मौर्ययुगीन भारत (पृष्ट ३१८) Archived 2016-04-20 at the वेबैक मशीन (गूगल पुस्तक ; लेखक के ए नीलकण्ठ शास्त्री)
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