करामत अली जौनपुरी
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करामत अली जौनपीरी (उर्दू: کرامت علی جونپوری, बांग्ला: কারামত আলী জৌনপুরী ; 12 जून 1800 - 30 मई 1873), जिनका पैदाइशी नाम मुहम्मद अली जौनपुरी, उन्नीसवीं सदी के भारतीय मुस्लिम समाज सुधारक और ताइयूनी आंदोलन के संस्थापक थे। उन्होंने सार्वजनिक उपदेशों के माध्यम से बंगाल और असम की जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उनहों ने चालीस से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। सैयद अमीर अली उनके उल्लेखनीय छात्रों में से एक हैं। [1] मिफ्ताहुल जन्नत और ज़ीनत अत- मुसल्ली उनकी किताबों में मश्हूर हैं।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
[संपादित करें]शिक्षा
[संपादित करें]जौनपुर में सक्रियता
[संपादित करें]बंगाल में प्रवास
[संपादित करें]राजनीतिक दृष्टिकोण
[संपादित करें]व्यक्तिगत जीवन
[संपादित करें]मृत्यु और विरासत
[संपादित करें]पुस्तकें
[संपादित करें]- मिफ्ताहुल जन्नत
- ज़ीनत अल-मुसल्ली
- ज़ीनत अल-क़ारी
- शरह-ए-हिंदी जजरी
- कवाकाब-ए-दुर्री
- तरजमा-ए-शमाइल-ए-तिर्मिज़ी
- तरजमा-ए-मिश्कात शरीफ
- अक़ाइद-ए-हक्का
- तज़किरतुल अकायद
- माफ़िज़ुल हुरुफ़
- कवल अस-साबित
- मकामी अल-मुबतादीन
- हक़ अल-याक़ीन
- बेअत-ओ-तौबा
- क़ौल अल-अमीन
- मुराद अल-मुरीदीन
- क़ौल अल-हक़
- मेरात अल-हक़ी
- इम्तिनान अल-कुलुब
- मोकाशिफत-ए-रहमात
- मुलक्खास
- फ़र्ज़-ए-आम
- हुज्जत-ए-कतेया
- नूर अल-हुसा
- ज़ाद अत-तक़्वा
- किताब-ए-एस्तिकामत
- नुरुन अला नूर
- राहत-ए-रूह
- कुव्वत अल-इमान
- इहक़कुल हक़
- रफीक अस-सालीकीन
- तनवीर अल-कुलुब
- तज़कियात एन नेसवान
- नसीम अल-हरमैन
- बराहिन-ए-कतेया
- मौलूद-ए-खैरुल बरियह
- केरामातुल हरामैन
- कुर्रतुल वियुन
- रेसला-ए-फैसल
- ओकाज़तुल मुमिनीन
- फतेह-ए-बाब-ए-सबियान
- दावत-ए-मजनूं [2] [3]
यह भी देखें
[संपादित करें]टिप्पणियाँ
[संपादित करें]बाहरी संबंध
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Aziz, Khursheed Kamal (1998). The Murder of History: A Critique of History Textbooks Used in Pakistan. Renaissance Publishing House. पृ॰ 210.
- ↑ Siddiq, Muhammad Abu Bakr. উপমহাদেশের প্রখ্যাত আলিমদের রাজনৈতিক জীবন. Khushroz Kitabmahal. पपृ॰ 31–40.
- ↑ Jaunpuri, Karamat Ali. Muradul Murideen (Bengali में). Chowk Bazaar and Bangla Bazar, Dhaka: Kara Matiya Library and Publication. पपृ॰ 5–6.