एश्मोलियन संग्रहालय
ऐशमोलियन संग्रहालय (Ashmolean Museum) अपनी तरह का दुनिया मे पहला संग्रहालय माना जाता है। कुछ लोग इसे पहला संग्रहालय भी मानते हैं लेकिन तथ्यों के अभाव मे इसे पहला यूनिवर्सिटी संग्रहालय भी कहा जाता है।[1]
ऐशमोलियन संग्रहालय ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का ही एक भाग है। विधिवत रूप से यह संग्रहालय 1677 मे शुरू हुआ। 1683 के बाद से इस संग्रहालय मे आम आदमियों को भी प्रवेश की छुट दी गई।
विभाग
[संपादित करें]पूरा संग्रहालय डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्स और डिपार्टमेंट ऑफ इस्टर्न इस प्रकार दो भागों मे बँटा हुआ है। डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्स मे जर्मनी, इजिप्त, रोम और मध्य पूर्विय देशों की वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाता है। इस्टर्न आर्ट गैलरी मे बुद्ध, भारतीय और तुर्क शस्त्रों और मोरक्को की वस्तुओं को संग्रहित किया गया है। इसके अलावा इस संग्रहालय मे उस जमाने की नृत्यांगनाओं, भित्तीचित्रों, पेंटिंगों, मूर्तियों आदि को संग्रहित किया गया है।[2]
किसी समय ईस्ट इंडिया कम्पनी के पदाधिकारियों ने उनको मिले उपहारों को भी संग्रहालय मे दान दिया था। इस तरह से इस संग्रहालय के इस विभाग मे 30000 से भी अधिक कलाकृतियां हैं। चूँकि यह संग्रहालय ओक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी का ही एक भाग है इसलिए इस युनिवर्सिटी के छात्र इन वस्तुओं पर अपना शोध भी करते हैं।
यहाँ का हेबर्डन कोईन रूम सिक्कों के संग्रह के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ प्राचिन जगत से लेकर आधुनिक युग तक के लगभग सभी प्रकार से सिक्के संग्रहित हैं।
समय समय पर इस संग्रहालय का कायाकल्प होता रहता है। आज इस प्राचीन संग्रहालय मे रेस्त्रां और गिफ्ट शोप भी उपलब्ध है। 2001 में यहाँ सेकलर पुस्तकालय खोला गया, जहाँ प्राचीन और आधुनिक पुस्तकों को लोगों तक उपलब्ध कराया गया है।
इस समय भी संग्रहालय के आधुनिकीकरण का कार्य जारी है। यह संग्रहालय दुनिया का पहला संग्रहालय है या नहीं इसको लेकर मतभेद है क्योंकि कोई पुख्ता सबूत नहीं है। परंतु यह संग्रहालय दुनिया केप्राचिनतम संग्रहालयों मे से एक ज़रूर है। इस संग्रहालय विभाग में 30,000 से अधिक कलाकृतियाँ हैं।[3]
इतिहास
[संपादित करें]एक जमाने में ब्रिटेन मे एक घुमक्कड प्रवृत्ति के इंसान हुआ करते थे, नाम था जॉन ट्रेडसेंट सिनियर. वे दुनिया भर मे घूमा करते थे और साथ ही साथ जहाँ भी जाते वहाँ से कुछ ना कुछ खरीद कर लाते थे। उन्हें अनोखी चीजें जमा करने शौख था। आगे चलकर यही लत उनके हम नाम बेटे को भी लगी. वे दोनों इस तरह से इकट्ठी की गई चीजों की प्रदर्शनी अपने घर मे लगाते थे।
एक दिन उनके मन मे विचार आया कि इन बेशकिमती चीजों को ऐसी कोई जगह रखना चाहिए जहाँ अधिक से अधिक लोग उन्हे देख सकें. वे लोग ऐलियस एशमोल नामक सम्भ्रांत व्यक्ति से मिलते हैं। ऐलियस एशमोल ब्रिटेन का चतुर राजनेता था। उसे भी पुरानी चीजें जमा करने का शौख था। ब्रिटेन गृह युद्ध के दौरान उसने ब्रिटिश साम्राज्य और राजा की सहायता की थी। और चार्ल्स द्वितीय को फिर से गद्दी पर बिठाने मे अपना योगदान दिया था। बाद मे सम्राट चार्ल्स ने उसे कई तोहफे और सत्ता मे उच्च पद दिए थे।
ऐलियस को जॉन ट्रेडसेंट का प्रस्ताव अच्छा लगा और उसने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय मे अपने नाम से यानि कि ऐशमोलियन संग्रहालय की शुरूआत की। यह सन 1640 की बात है। ऐशमोलियन संग्रहालय इसतरह से अपनी तरह का दुनिया मे पहला संग्रहालय माना जाता है। कुछ लोग इसे पहला संग्रहालय भी मानते हैं लेकिन तथ्यों के अभाव मे इसे पहला यूनिवर्सिटी संग्रहालय भी कहा जाता है।[4]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2018.
- ↑ "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 2 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2018.
- ↑ "एश्मोलियन संग्रहालय". अभिगमन तिथि 2023-03-07.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2018.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]विकिमीडिया कॉमन्स पर एश्मोलियन संग्रहालय से सम्बन्धित मीडिया है। |
- एश्मोलियन संग्रहालय वेबसाइट
- Sackler Library
- The Griffith Institute
- Virtual Tour of the Ashmolean Museum, photography from 2003
- Powhatan's Mantle — pictures, description & history
निर्देशांक: 51°45′19.28″N 1°15′36.22″W / 51.7553556°N 1.2600611°W