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एड्स का इंकार

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एड्स का इंकार एक ऐसा विश्वास है जिसे विस्तृत रूप से चिकित्सा और विज्ञान के सबूत के आधार पर गलत साबित किया गया है। इस का आधार यह है कि एचआईवी एड्स का कारण नहीं बनता है। इसके कुछ समर्थक तो एचआईवी के अस्तित्व पर ही प्रश्न करते हैं। कुछ अन्य समर्थक यह मानते हैं कि एचआईवी का अस्तित्व तो है, परन्तु यह एक हानिरहित यात्री वायरस है और एड्स का कारण नहीं है। जहाँ यह लोग एड्स के वजूद को मानते हैं, यह लोग इसे संभोग व्यव्हार, नशीली दवाओं के व्यसन, कुपोषण, खराब शौचघर व्यवस्था, हीमोफीलिया या एड्स के उपचार के ड्रगों का दुष्परिणाम मानते हैं। [1][2]

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों में धारना

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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ लोग यह मानकर चलते हैं कि एड्स का वायरस एक मिथक है। उनका यह विश्वास इतना दृड़ है कि अपने निकट सम्बंधियों पर भी इस वायरस की आशंका का वे लोग संज्ञान नहीं लेते, हालाँकि इसके कारण उन्हें ही समस्याग्रस्त होना पड़ सकता है। कुछ अधिकारी और कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि ज्यादातर लोगों का मानना है कि एड्स-पैदा करने वाले वायरस पश्चिम की खोज है और यह एक मिथक है। इससे भी कई देशों की जनता में भ्रम फैलता है।[3]

सन्दर्भ

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  1. Cohen, J (1994). "Duesberg and critics agree: Hemophilia is the best test". Science. 266 (5191): 1645–6. बिबकोड:1994Sci...266.1645C. डीओआई:10.1126/science.7992044. पीएमआईडी 7992044.
  2. Kalichman 2009.
  3. "एड्स को मिथक मानने वाली मां ने नहीं कराया इलाज, 5 माह की बच्ची की मौत". नई दुनिया. नई दुनिया. मूल से से 18 अगस्त 2018 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: १८ अगस्त २०१८.