उदानवर्ग

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उदानवर्ग एक प्रारंभिक बौद्ध ग्रन्थ है। यह त्रिपिटक का भाग नहीं है किन्तु इसके बहुत से वर्ग (अध्याय), श्लोक और प्रारूप आदि धम्मपद और उदान जैसे ही हैं। वर्तमान समय में उदानवर्ग का एक संस्कृत संस्करण, दो चीनी संस्करण और दो या तीन तिब्बती संस्करण मिलते हैं। [1]

विषयवस्तु[संपादित करें]

उदानवर्ग में 33 वर्गों (अध्यायों) में लगभग 1100 श्लोक हैं। वर्गों के नाम निम्नलिखित हैं[2]

  1. अनित्यवर्ग
  2. कामवर्ग
  3. तृष्णावर्ग
  4. अप्रमादवर्ग
  5. प्रियवर्ग
  6. शीलवर्ग
  7. सुचरितवर्ग
  8. वाकवर्ग
  9. कर्मवर्ग
  10. श्रद्धावर्ग
  11. श्रमणवर्ग
  12. मार्गवर्ग
  13. सत्कारवर्ग
  14. द्रोहवर्ग
  15. स्मृतिवर्ग
  16. प्रकीर्णकवर्ग
  17. उदकवर्ग
  18. पुष्पवर्ग
  19. अश्ववर्ग
  20. क्रोधवर्ग
  21. तथागतवर्ग
  22. श्रुतवर्ग
  23. आत्मवर्ग
  24. पेयालवर्ग
  25. मित्रवर्ग
  26. निर्वाणवर्ग
  27. पश्यवर्ग
  28. पापवर्ग
  29. युगवर्ग
  30. सुखवर्ग
  31. चित्तवर्ग
  32. भिक्षुवर्ग
  33. ब्राह्मणवर्ग

तुलनात्मक रूप से, पालि में धम्मपद के सबसे आम संस्करण में 26 अध्यायों में 423 श्लोक हैं। [3] ब्रू (2001) ने उदानवर्ग, पाली धम्मपद और गांधारी धर्मपद की तुलना करते हुए बताया कि इन सभी ग्रंथों में 330 से 340 श्लोक, 16 वर्ग एक समान हैं और इन सबमें एक अंतर्निहित संरचना है। [4]

इतिहास[संपादित करें]

ब्रौ के अनुसार उदानवर्ग सर्वस्तिवादियों द्वारा रचित ग्रन्थ है। [5]

हिनुबर का सुझाव है कि तिपिटक के उदान के समान एक ग्रन्थ की रचना हुई जो संस्कृत वाले उदानवर्ग का मूल बना। इसमें धम्मपद के श्लोक जोड़े गए थे। [6] ब्रौ का मानना है कि उदानवर्ग, पालि धम्मपद और गांधारी धर्मपद सभी का "एक ही पूर्वज" है।

पारंपरिक रूप से माना जाता है कि तिब्बती बौद्ध और चीनी बौद्ध सिद्धांतों का संकलन धर्मत्रात द्वारा किया गया है। [7] [टिप्पणी 1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

टिप्पणियाँ[संपादित करें]

  1. Ānandajoti (2007), pp. vi, n. 5, vii-viii.
  2. Bernhard (1965).
  3. See, e.g., Ānandajoti (2007), p. 1.
  4. Brough 2001, पृ॰प॰ 23–30.
  5. Brough 2001, पृ॰प॰ 38–41.
  6. Hinüber (2000), pp. 45 (§89), 46 (§91).
  7. Brough 2001, पृ॰प॰ 39–40.