इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना ( Indira Gandhi Matritva Sahyog Yojana (IGMSY) के अंतर्गत गर्भवती और दूध पिलाने [1]वाली महिलाओं को कुछ शर्तों के साथ मातृत्व लाभ पहुंचाए जाते हैं जिनका उद्देश्य उनके स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाना है ताकि दूध पिलाने वाली और गर्भवती स्त्रियों के माहौल में सुधार [2]किया जा सके और इसके लिए उन्हें नकद प्रोत्साहन राशि दी जा सके। इसे समन्वित बाल विकास सेवाओं की योजना के मंच से लागू किया जा रहा है। इस योजना की शुरुआत अक्तूबर 2010 में प्रायोगिक [3]आधार पर पर की गई थी और अब यह 53 चुनिंदा जिलों में चल रही हैं। फिलहाल लाभार्थियों को दो किस्तों में 6,000 रुपए बैंक अथवा डाकघर खातों के जरिए दिए जाते हैं। पहली किस्त गर्भावस्था के 7-9 महीनों के दौरान दी जाती है और दूसरी किस्त की रकम कुछ शर्तें पूरी करने के बाद प्रसूति के 6 महीने बाद दी जाती है। सभी सरकारी/सार्वजनिक [4] उपक्रम(केन्द्रीय तथा राज्य) के कर्मयोजना का लाभ उठाने के हकदार नहीं होंगे क्योंकि उन्हें वेतन सहित मातृत्व अवकाश दिया जाता है। यह योजना देश के 53 जिलों में प्रायोगिक आधार पर लागू की जा रही हैं'।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना (pmmvy) के सालगिरह को मातृ वंदना सप्ताह के रूप में मनाया गया। 13 सितंबर, 2018 तक इस योजना के तहत 48.11 लाख महिलाओं ने नामांकन कराया था, जिनमें से 37.30 लाख महिलाओं को मातृत्व लाभ का भुगतान किया गया है।
PMMVY की आवश्यकता
- भारत में बहुसंख्यक महिलाओं पर कुपोषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में हर तीसरी महिला कुपोषित है और हर दूसरी महिला एनीमिक है। एक कमजोर मां लगभग अनिवार्य रूप से कम वज़न वाले बच्चे को जन्म देती है।
- जब अल्प पोषण-गर्भाशय में शुरू होता है, तो यह पूरे जीवन चक्र में फैलता है और ये कुपोषण अगली पीढ़ी को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।
- आर्थिक और सामाजिक संकट के चलते कई महिलाएं अपने गर्भावस्था के आखिरी दिनों तक अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए काम करना जारी रखती हैं। इसके अलावा, वे प्रसव के तुरंत बाद काम करना शुरू कर देती हैं, भले ही उनका शरीर इसकी अनुमति नहीं देती हो।
- इस प्रकार एकlरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाता है; वहीं दूसरी तरफ अपने नवजात शिशु को प्रथम 6 माह तक सही तरीके से स्तनपान नहीं करा पाती हैं, जिसके चलते बच्चे के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आंगनवाड़ी में महिलाओं को शक्ति से जोर देने की कृपा करें जैसे कि हर महिला गर्भवती महिला आंगनवाड़ी केंद्र पर जाती है सबसे ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र पर जोर दिया जाना चाहिए उससे हर ग्राम की हर महिला को सही राह मिल सके उससे वह कुपोषण नहीं रहेगी समय-समय पर वह अपना स्वयं देखभाल कर सकते हैं
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 4 मार्च 2016. Retrieved 31 अगस्त 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति" (PDF). Archived from the original (PDF) on 28 सितंबर 2015. Retrieved 31 अगस्त 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 28 मार्च 2015. Retrieved 31 अगस्त 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 4 फ़रवरी 2016. Retrieved 31 अगस्त 2015.
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