अघोरनाथ चट्टोपाध्याय

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

अघोरनाथ चट्टोपाध्याय (1851-1915) एक भारतीय शिक्षाविद् और समाज सुधारक थे। [1] डीएससी (डॉक्टर ऑफ साइंस) की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे । वे हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज के पहले प्रिंसिपल बने। [2] । प्रख्यात कवि और भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता सरोजिनी नायडू उनकी सबसे बड़ी बेटी थीं।

जीवन परिचय[संपादित करें]

अघोरनाथ का जन्म ब्रामनगाँव, बिक्रमपुर बंगाल प्रेसीडेंसी में हुआ था। ढाका कॉलेजिएट स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने उच्च अध्ययन के लिए गिलक्रिस्ट छात्रवृत्ति पर यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग जाने से पहले कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में साढ़े तीन साल बिताए। [3] उन्होंने अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और होप पुरस्कार और बैक्सटर छात्रवृत्ति प्राप्त की। [4] [5]


हैदराबाद राज्य के निज़ाम से, वहाँ की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने का निमंत्रण स्वीकार करके अघोरनाथ पत्नी के साथ हैदराबाद पहूंचा। उन्होंने एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल से शुरुआत की। निज़ाम के समर्थन से उन्होंने हैदराबाद कॉलेज की स्थापना की और उस काॅलेज का पहला प्रिंसिपल बने जो बाद में निज़ाम कॉलेज बन गया। बाद में उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय के एक भाग के रूप में महिलाओं के लिए एक कॉलेज शुरू करने के प्रयास भी किए। उन्होंने हैदराबाद राज्य में विशेष विवाह अधिनियम 1872 को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो पहले से ही ब्रिटिश भारत में प्रचलन में था। अघोरनाथ हैदराबाद के बुद्धिजीवियों के साथ सामाजिक राजनीतिक और साहित्यिक विषयों पर बहस की। इस समय के आसपास अघोरनाथ भी राजनीति में शामिल हो गए[6]

चंदा रेल परियोजना पर निजाम के साथ उनका मतभेद हुआ और नाराज निजाम ने उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया और 20 मई 1883 को हैदराबाद से बाहर निकाल दिया [7][8] । हालाँकि कुछ साल बाद उन्हें वापस बुला लिया और नौकरी भी वापस कर दिया गया। 1894 में अघोरनाथ की पुत्री सरोजिनी को इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए छात्रवृत्ति निजाम ने ही प्रदान की [9]

हैदराबाद में वापस आने के बाद अघोरनाथ ने अपनी राजनीतिक सक्रियता जारी रखी और इसलिए उन्हें जल्दी रिटायर होने और कोलकाता स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने और उनकी पत्नी वरदा सुंदरी देवी ने कोलकाता लौटे और लवलॉक स्ट्रीट में धर लेलिया ।1915 जनुवरि 28 को उनका निधन हुआ[10]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Bhukya, Bhangi (2017). History of Modern Telangana (First संस्करण). Hyderabad: Orient Black Swan. पृ॰ 43. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789386689887.
  2. "Aghorenath Chattopadhyay". edglobal.egnyte.com. The University of Edinburgh. अभिगमन तिथि 2020-09-03.
  3. Kumar, Anu (2014). Sarojini Naidu: The Nightingale and the Freedom Fighter. Gurgaon, India: Hachette Book. पपृ॰ 10–12. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978935009816-5.
  4. Rangarajan, Uttara. "Aghorenath Chattopadhyay-UncoverED". uncover-ed.org. The University of Edinburgh. मूल से 8 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-09-03.
  5. Sengupta, Padmini (1966). Sarojini Naidu: A Biography. New York: Asia Publishing House. पृ॰ 12-19.
  6. Ray, Prafulla Chandra (1958). Autobiography of a Bengali Chemist. Calcutta: Orient Book Company. पृ॰ 107.
  7. Sengupta, Padmini (1966). Sarojini Naidu: A Biography. New York: Asia Publishing House. पृ॰ 16.
  8. Deb, HC (1883-07-09). "Railways (India)-The Nizam's territory and Chanda Railway(Hansard )". api.parliament.uk. मूल से 28 सितंबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-09-10.
  9. Sengupta, Padmini (1966). Sarojini Naidu: A Biography. New York: Asia Publishing House. पृ॰ 27.
  10. Sengupta, Padmini (1966). Sarojin Naidu: A Biography. New York: Asia Publishing House. पृ॰ 91.