नसक

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मध्यकालीन भारत के इतिहास में नसक एवं कानकूत के संदर्भ में यदि हम संक्षिप्त टिप्पणी करें तो, यह भू राजस्व प्रशासन के अंतर्गत एक ऐसी प्रणाली या व्यवस्था थी, जो अनुमान पर आधारित थी। यहां अनुमान से तात्पर्य हैं, जिन क्षेत्रों में पहले बटाई के आधार पर अथवा भूमि माप के आधार पर वसूली की गई थी, वहां पुराने रिकॉर्ड को ही आधार बनाकर भू राजस्व की वसूली की जाती थी।

                    वस्तुतः नसक और कानसूत  का स्वरूप बहुत स्पष्ट नहीं हैं परंतु यह ग्रामीण क्षेत्र में एक लंबे काल से प्रचलित रहे थे।