भारत में खाद्य सुरक्षा

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खाद्य सुरक्षा का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुँच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य। जब भी अनाज के उत्पादन या उसके वितरण की समस्या आती है तो सहज ही निर्धन परिवार इससे अधिक प्रभावित होते हैं। खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शासकीय सतर्कता और खाद्य सुरक्षा के खतरे की स्थिति में सरकार द्वारा की गई कार्यवाही पर निर्भर करती है।

खाद्य सुरक्षा क्या है?[संपादित करें]

जीवन के लिए भोजन उतना ही आवश्यक है जितना कि साँस लेने के लिए वायु। लेकिन खाद्य सुरक्षा मात्र दो जून की रोटी पाना नहीं है, बल्कि उससे कहीं अधिक है। खाद्य सुरक्षा के निम्नलिखित आयाम हैं:

(क) खाद्य उपलब्धता का तात्पर्य देश में खाद्य उत्पादन, खाद्य आयात और सरकारी अनाज भंडारों में संचित पिछले वर्षो के स्टॉक से है।

(ख) पहुँच का अर्थ है कि खाद्य प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहे। (ग) सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।

किसी देश में खाद्य सुरक्षा केवल तभी सुनिश्चित होती है जब (1) सभी लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य उपल

ब्ध हो, (2) सभी लोगों के पास स्वीकार्य गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ खरीदने की क्षमता हो और (3) खाद्य की उपलब्धता में कोई बाधा नहीं हो।

खाद्य सुरक्षा क्यों?[संपादित करें]

समाज का अधिक गरीब वर्ग तो हर समय खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हो सकता है परंतु जब देश भूकंप, सूखा, बाढ़, सुनामी, फसलों के खराब होने से पैदा हुए अकाल आदि राष्ट्रीय आपदाओं से गुजर रहा हो, तो निर्धनता रेखा से ऊपर के लोग भी खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हो सकते हैं।

दान करने के लिए, भारत की संसद ने २०१३ में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, २०१३ नामक एक कानून पारित किया। इसे खाद्य अधिकार कानून भी कहा जाता है, इस अधिनियम के तहत भारत की १.२ अरब कि आबादी के लगभग दो तिहाई लोगों को कम दाम पर अनाज प्रदान करने का प्रावधान है।[2] यह कानून १२ सितंबर २०१३ को पारित हुआ (५ जुलाई, २०१३ से पूर्वव्यापी).[3][4]

योजनाएँ[संपादित करें]

केंद्रीय योजनाएँ[संपादित करें]

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, २०१३ (एनएफएसए २०१३) भारत सरकार के मौजूदा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए कानूनी पात्रता में परिवर्तित हो जाता है। इसमें मध्यान्ह भोजन योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली शामिल है। 2017-18 में, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत खाद्य सब्सिडी प्रदान करने के लिए १५०० अरब (सरकार के कुल व्यय का ७.६%) आवंटित किया गया है।[5]
  • एनएफएसए २०१३ में मातृत्व अधिकार का भी प्रावधान है। गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों की कुछ श्रेणियां दैनिक मुक्त अनाज के लिए पात्र हैं।

राज्य योजनाएँ[संपादित करें]

  • तमिलनाडु सरकार ने अम्मा उनावगम (माता का भोजनालय) शुरू किया है, जिसे सामान्यतः अम्मा कैंटीन कहा जाता है।[6] 
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम, २०१२ पारित किया। राज्य विधानसभा द्वारा यह अधिनियम २१ दिसंबर, २०१२ को निर्विरोध पारित किया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके "राज्य के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन और पर्याप्त पोषण की अन्य आवश्यकताऐ हर समय, कम कीमत पर, उपलब्ध हों।"[7]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत में कल्याणकारी योजनाएँ

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Jaat Balwan Jai Bhagwan
  2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम २०१३. http://www.prsindia.org/uploads/media/Ordinances/Food%20Security%20Ordinance%202013.pdf Archived 2018-01-27 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि २०१८-१०-०५
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जनवरी 2018.
  4. खाद्य सुरक्षा अधिनियम ५ जुलाई से लागू.http://www.btvin.com/videos/watch/7714/food-security-act-to-be-implemented-from-july-5 Archived 2016-03-05 at the वेबैक मशीन अभिगम तिथि २०१८-०१-०५
  5. केन्द्रीय बजट http://unionbudget.nic.in/ub2017-18/eb/allsbe.pdf Archived 2018-01-06 at the वेबैक मशीन अभिगम तिथि २०१८-०१-०५
  6. Tamil Nadu’s Amma canteen concept catches on in other states
  7. छत्तीसगढ़ ने अपना खाद्य सुरक्षा बिल पास किया- हिन्दुस्तान टाइम्स https://web.archive.org/web/20130111004146/http://www.hindustantimes.com/India-news/Chhattisgarh/Chhattisgarh-passes-own-food-security-bill/Article1-979100.aspx अभिगमन तिथि २०१८-०१-०५