माधवदास जगन्नाथी

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माधवदास जगन्नाथी पहले श्री माधवेंद्रपुरी के शिष्य थे पर श्री गौरांग का आविर्भाव होने पर यह उनके अनुगत हो गए। श्रीमाधवेंद्रपुरी सं० १५४८ में अप्रकट हुए अत: इनका जन्म सं० १५३० के लगभग हुआ होगा।

यह पद बनाकर गायन करते हुए यात्रा करते रहते थे और जगन्नाथ पुरी अधिक जाते थे, जिससे यह 'जगन्नाथी' भी कहे जाने लगे। ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। ये विरक्त भक्त संन्यासी तथा संस्कृत के विद्वान थे और ब्रजभाषा पदों के सिवा इन्होंने संस्कृत में कई ग्रंथ प्रस्तुत किए हैं पर वे सब प्राय: अप्राप्य है। ब्रजभाषा की कुछ छोटी छोटी रचनाएँ, जैसे ध्यान लीला, मदालसा आख्यान, परतीत परीच्छा आदि प्राप्त हैं। यह १६वीं शती के अंत तक विद्यमान थे।