यमुनाचार्य

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यमुनाचार्य रामानुजाचार्य के पहले विशिष्टाद्वैत वेदांत के सुप्रसिद्ध आचार्य जिन्हें 'आलबंदार' भी कहते हैं। एक परंपरा के अनुसार ये रामानुज के गुरु भी थे। इनका काल ११वीं शताब्दी का पूर्वार्ध होना चाहिए। इन्होंने वैणव आगमों को वेदों के समान प्रामाणिक माना।

कृतियाँ[संपादित करें]

यमुनाचार्य की रचनाएँ संस्कृत में हैं। उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

  • आगम-प्रमाण्य,
  • सिद्धित्रय (आत्मसिद्धि, संवितसिद्धि, ईश्वरसिद्धि),
  • गीतार्थसंग्रह,
  • चतुश्लोकी, और
  • स्तोत्ररत्न
  • महापुरुष निर्णय
  • नित्यम
  • मायावाद खण्डनम

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]