सदस्य वार्ता:Lakshya IAS/प्रयोगपृष्ठ

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मेरा नाम लक्ष्य राज है। मैं पटना,बिहार का रहने वाला हूँ। मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी,बेंगलुरु में बीए प्रथम वर्ष का छात्र हूँ। मैं अब आगे अपने अभी तक की जीवन की महत्वपूर्ण जानकारी से आप सबों को रूबरू कराना चाहता हूँ, जिसमे मेरी रूचि, मेरी उपलब्धियां, मेरे परिवार की जानकारी तथा मेरे लक्ष्य शामिल हैं।

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

मेरा जन्म बिहार राज्य के पटना जिले में एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ है , पटना शहर बिहार राज्य की राजधानी है जिसका क्षेत्रफल २९७.९० वर्ग किलोमीटर है तथा जनसँख्या २. ७ मिलियन है, यह भारत के प्राचीनतम शहरो में से एक है। यह सम्राट अशोक की राजधानी थी जो कभी पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। पाटलिपुत्र का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण रहा है

मेरे पिताजी का नाम श्री शैलेन्द्र नाथ पांडेय है। वे एक सिविल अभियंता हैं। मेरी माता श्रीमती पुष्पा देवी एक गृहणी हैं। हम तीन भाई- बहन हैं, तीनो भाई बहनो में मैं दूसरे संख्या पर आता हूं बड़े भाई मृत्युंजय कुमार पांडेय, पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं तथा छोटी बहन अभी दसवीं कक्षा की छात्रा है। मेरे माता-पिता ने मुझे धैर्यवान बनना सिखाया है, उनसे मैंने सच्चाई एवं ईमानदारी की राह पर चलना सीखा है तथा मैं उनकी नीतियों को सदा अमल में लाने की कोशिश करता हूँ।

मेरी दसवीं तक की शिक्षा पटना से ही पूरी हुई है, तथा मैंने अपनी बारहवीं की शिक्षा झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले से पूर्ण किया है। फिलहाल मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में बीए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हूँ। यह एक आदर्श विश्विद्यालय है तथा कई मायनो में भारत में अग्रणी स्थान रखता है।

रुचियाँ[संपादित करें]

मैं अपनी रुचियों के प्रति बहुत ही जागरूक रहा हूँ, और मेरी कोशिश रही है की ये हमेशा सकारात्मक बनी रहे। फ़िलहाल मेरी रुचियों में लिखना और किताबें पढ़ना शामिल है इसके अलावा मुझे नयी नयी जगह घूमना बेहद पसंद है, मेरी पसंदीदा जगहों में हिमाचल प्रदेश , जम्मू कश्मीर तथा हिमालय श्रेणियों से सटे हुए राज्य शामिल हैं। इसके अलावा मुझे क्रिकेट देखना और खेलना दोनों पसंद है।

मेरा लक्ष्य भारतीय प्रसाशनिक सेवा में जाकर अपनी देश और देश के गरीब तथा जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है। मैंने गरीबो का शोषण अमीरो के द्वारा होते देखा है और मुझे बहुत बुरा लगता है जब दो व्यक्तियों की पहचान और सम्मान पैसो से की जाती है, मैं आईएएस अफसर बनकर समाज में हो रहे इस तरह की उत्पीडनो को मिटाना चाहता हूँ , जिस दिन मैं ऐसा कर सका वह दिन मेरे और मेरे पिता के लिए बेहद सम्मानजनक होगा और मेरी नजरो में मेरे पिता का सम्मान ही मेरा गर्व है।

उपलब्धियां[संपादित करें]

मेरी अभी तक उपलब्धियों में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे गिनते हुए मुझे कुछ बेहद ही अच्छा करने का एहसास हो परन्तु मैं हमेशा यह कोशिश करता हूँ मैंने पीछे जो भी किया है आगे उससे भी कुछ बेहतर करूँ। मैं अपने नौवीं कक्षा तक के सफर में अपने विद्यालय में एक अच्छा स्थान हासिल करता रहा, तथा कुछ अच्छा करने की ललक ऐसी रही की अपनी दसवीं कक्षा की परीक्षा में मैं अपने विद्यालय का अव्वल छात्र रहा जो की उस समय के लिहाज से संतोषजनक था, अभी क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में पढाई करना भी इस समय के लिहाज से संतोषजनक है, आशा करता हूँ की आगे की जीवन की उपलब्धियों को इसी तरह सकारात्मक रख सकूँ।

सन्दर्भ[संपादित करें]