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मदनलाल
व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम मदनलाल उद्धोराम शर्मा
जन्म 20 मार्च १९५१ (१९५१-03-20) (आयु 73)
अमृतसर, पंजाब, भारत
उपनाम मडिपा
बल्लेबाजी की शैली दाए हाथ के बल्लेबाज़
परिवार कुन्नल लाल् (पुत्र्)
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी
राष्ट्रीय पक्ष
टेस्ट में पदार्पण (कैप १३०)६ जून्, १९७४ बनाम इंगलैंड
अंतिम टेस्ट१९ जून् १९८६ बनाम पाकिस्तान्
वनडे पदार्पण (कैप )१३ जुलाई १९७४ बनाम इंगलैंड
अंतिम एक दिवसीय२० मार्च् १९८७ बनाम इंगलैंड
कैरियर के आँकड़े
प्रतियोगिता टेस्ट ओडीआई क्रिकेट
मैच ३९ ६७
रन बनाये १०२४ ४०१
औसत बल्लेबाजी २३ १९
शतक/अर्धशतक -/५ -/१
उच्च स्कोर ७४ ५३*
गेंद किया ५९९७ ३१६४
विकेट ७१ ७३
औसत गेंदबाजी ४० २९
एक पारी में ५ विकेट
मैच में १० विकेट
श्रेष्ठ गेंदबाजी ५/२३ ४/२० {{{best bowling4}}}
कैच/स्टम्प १५/- १८/- {{{catches/stumpings4}}}
स्रोत : ESPNCricinfo

            'Madanlal

  मदनलाल जी का पूरा नाम मदनलाल उधौराम शर्मा है। इनका जन्म 20 मार्च सन् 1951 मे पंजाब के अमृतसर में हुआ था। वे एक पूर्व भारतीय क्रिकेट के खिलाड़ी हैं। और इसके अलावा क्रिकेट के कोच भी रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली जाईन्टस व भारतीय क्रिकेट लीग के लिये कोचिंग भी की है।मदन लाल जी ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं। मदन लाल जी ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ऑलराउंडर खेल दिखाते हुए 42.87 के औसत से 10,204 रन बनाये जिसमें 22 शतक शामिल हैं। उन्होंने 25.50 के औसत से साइड ऑन बॉलिंग करते हुए625 विकेट लिए। उन्होंने भारत की टीम में 39 टेस्ट मैच खेलते हुए 22.65 के औसत से 1,042 रन बनाये 40.08 के औसत से 71 विकेट लिए और 15 कैच पकड़े। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने सर्वोच्च ७४ रन बनाये हैं और एकदिवसीय क्रिकेट मैंच में उन्होने  सर्वोच्च ५३ रन बनाये हैं। हमेंशा वे मध्य क्रम में खेलने के लिए भेजे जाते थे, लेकिन हर बार वे भारत के लिए मददगार ही साबित बने। उनके प्रशंसक उन्हें मदन लाल के बजाय मदद्लाल के नाम से भी पुकारा करते थे। यही बस नहीं जब भी वे गेंदबाजी करते हुए लगातार मेडन ओवर डालते थे तब अंग्रेज कमेंटेटर उन्हें मेडनलाल भी कह कर प्रसारित करते थे। 1983 के विश्व कप मैच में मदन लाल के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है, उस समय लगभग हारती जा रही टीम को उन्होंने जीत में बदल दिया था।

प्रारंभिक खिलाडी जीवन[संपादित करें]

               मदन लाल जी को अपने बचपन से ही खेलने का बडा शौक था और क्रिकेट के प्रति उनका बड़ा ही लगाव था। मदन लाल जी ने 1968 से लेकर 1972 तक पंजाब क्रिकेट टीम के ओर से रणजी ट्रोफी के लिए क्रिकेट खेला था। उसके बाद उन्होंने कदम की ओर अपना कदम लिया और 1972 से 1988 तक लगातार 18 साल तक वे दिल्ली क्रिकेट टीम में ही खेले खेलते रहे।
               

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जीवन[संपादित करें]

                मदनलाल ने 1995 के क्रिकेट विश्व कप में टेस्ट मैच की पहली गेद इंगलंड के ओपनिंग बैटसमैन को फेंकी थी। उसके बाद उन्होंने  67 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपनी उल्ल्लेखनीय भूमिका निभाई। 1983 में खेलते गये विश्व कप क्रिकेेट में विजयी भारतीय टीम में कपिल देव, कीर्ति आजाद, मोहिन्दर अमरनाथ, रोजर बिन्नी, व बलविन्दर सन्धू के साथ मदन लाल के योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता है। खासतौर पर फाइनल में जब उन्होंने विरोधी टीम को हरा कर रख दिया था और विजय प्राप्त की।
                

खेल का तरीका[संपादित करें]

        मदन लाल जी उत्साही बहुत ही खिलाड़ी हैं। मदन लाल जी दाये हाथ के बल्लेबाज हैं और उन्हें हमेंशा मध्य भाग में ही खेलने भेजा जाता था। इसके अलावा वे मध्यम गति के गेंदबाज खिलाडी भी थे, जो हमेंशा दाये हाथ से गेंदबाजी करते थे। इसके अतिरिक्त वे बहुत ही अच्छे क्षेत्ररक्षक भी थे। वे ऑलराउंडर खिलाड़ी भी थे,और उन्होंने यह सिध्द करके दिखाया।

प्राप्त पुरस्कार[संपादित करें]

             मदन लाल जी को क्रिकेट मे अपने उल्ल्लेखनीय योगदान के लिए 1989 में 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है।

रिटायरमेन्ट के बाद[संपादित करें]

                   क्रिकेट से अवकाश लेने के बाद भी वे कभी खाली नहीं रहे, वे अपनी जिन्दगी में कुछ न कुछ करते ही रहे। और उन्हें रिटायरमेन्ट के बाद निम्न उपलब्धियां मिली:

(1) उन्होंने यूनाइटेड अरब अमीरात के लिये क्रिकेट टीम के लिये कोच का काम किया।

(2) सितम्बर 1996 से 1997 तक वे भारत के राष्त्रिय क्रिकेट के कोच रहे ।

(3) 2000 से लेकर 2001 तक राष्त्रिय क्रिकेट टीम की चयन समिती के सदस्य रहे।

(4) इन्डीयन क्रिकेट लीग में दिल्ली जाईन्टस के 2008 तक कोच रहे।

(5) अभी वे बी सी सी आई के लिये अपना सहयोग दे रहे हैं।

क्रिकेट अकादमी

                         मदन लाल जी ने अपने नाम से 'मदन लाल क्रिकेट अकादमी' की स्थापना भी कर रखी है जिसमें हर साल वे युवकों को ग्रीष्म्कालीन छुट्टी में प्रशिक्षण देते हैं, और उन्हें काबिल खिलाडी बनाते हैं। पिछला ग्रीष्म्कालीन शिविर उन्होंने मई 2012 में आयोजित किया था,जिसमें उन्होंने आस्त्रेलिया से कोच बुलाकर प्रशिक्षण दिया था। 
   http://www.espncricinfo.com/india/content/player/30873.html