सदस्य:Akshara97/प्रयोगपृष्ठ

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आपूर्ति (अर्थशास्त्र)[संपादित करें]

आपुर्ति वक्र

अर्थशास्त्र में, आपूर्ति कुछ चीज कि मात्रा है जो फर्मों, उपभोक्ताओं, मजदूरों, वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रदयक या अन्य आर्थिक एजेंट बाज़ार को उपलब्ध करने के लिए तैयार हैं।

माल के बाज़ार में, आपूर्ति एक उत्पाद की मात्रा है जो,उत्पादकों बेचने के लिए तैयार हैं,जब दिए गए मूल्यों स्थिर रखा जाता है। मजदूरों के बाज़ार मे आपूर्ति, प्रति हफते, महीने या साल भर के वो समय है, जो एक व्यक्ति काम पर खर्च करने को तैयार हैं, जब उसे अपने किये का कीमत मिलेगा। मुद्रा बाज़ार मे आपूर्ति देश की मौद्रिक प्राधिकरण द्वरा निर्धारित धनराशि है जो लोगो के पास होती है। आपूर्ति कि सारणी एक सूची है जो यह दर्शाता है कि वर्तमान परिस्थितियों में एक या एक से अधिक कंपनीयां निजी कीमतों पर आपूर्ति करने के लिए तैयार होंगी।

प्रभावित करने वाले कुछ कारकों[संपादित करें]

  • वस्तू की खुद की कीमत : आपूर्ति संबंध, माल कि कीमत और उपलब्ध किया गया मात्रा का रिशता है। आम तौर पर दोनो कि रिश्ते सकारात्मक होते है। उदाहरण के लिए, मूल्य के वृद्धि से उपलब्ध की गई मात्रा में वृद्धि होगी।
  • संबंधित माल की कीमत : संबंधित माल एक फर्म के मौजूदा कारकों पर आधारित है। उदाहत किलिए, एक फर्म चमड़े की बेल्ट का उत्पादन करते है। फर्म के प्रबंधकों को पता है कि स्मार्टफोन के लिए चमड़े के पाउच बेल्ट से अधिक लाभदायक हैं। तो ये फर्म बेल्ट उत्पादन कम करके स्मार्टफोन पाउच का उत्पादन शुरू कर सकता है । इसिलिए उत्पाद की कीमत के बदलाव आपूर्ति को प्रभावित करता है।
  • प्रौद्योगिकी : प्रौद्योगिकी के अनुसार भी आपूर्ति मे बदलाव आ सकता है। यदि प्रौद्योगिकी स्तर में वृद्धि हुई तो आपूर्ति मे वृद्धि हो सकती है और इसका विपरीत स्थिति भी हो सकता है।
  • बेचनेवाले कि उम्मीद :अगर विक्रेता का मानना है कि भविष्य में अपने उत्पाद की मांगनी बढ़ सकती है तो फर्म कि मालिक माल कि उत्पादन बढ़ा सकती है ।

आपूर्ति का नियम[संपादित करें]

आपूर्ति के विधि के मुताबिक[1], "अन्य कारको को स्थिर रखते हुए एक वस्तु कि आपूर्ति कि गई मात्रा और उसकी कीमत से प्रत्यक्ष रूप से जुडे हुए हैं"। इस नियम के अनुसार जब उपलब्द किये गये वसतू के मात्रा बदता है तो उसके मुल्य (आपूर्ति के एक कारक) भी उसके साथ बदते है। इसका मतलब यह है कि एक उत्पादक तब ही अधिक उत्पाद उपलब्ध करता है जब बाज़ार मे उसकि कीमत ज़्यादा हो, ताकि उनके मुनाफा बदे।

आपूर्ति फलन और समीकरण[संपादित करें]

अपूर्ति फलन एक गणितीय सूत्र है, जिसमे आपूर्ति ओर उनके कारको के बीच का सम्पर्क दिखता है। जिससे एक प्रदायक को माल प्रदान करने कि क्षमता ओर तत्परता को प्रभावित कर सकती है। आपूर्ति फलन का समीकरण या सूत्र है, Qs = F (P; Prg), जहां Qs उपलब्ध कि गई माल कि मात्रा, P माल कि कीमत ओर Prg सम्बंधित माल कि कीमत है। सूत्र मे जो सेमीकोलन है उसके दायीं तरफ के चर को स्थिर रखता है। अपूर्ति कि गयी माल कि मत्रा उसकि कीमत के सामने आलेखित की जाति है। यहा P के गुणांक सकारात्मक होता है क्योकि कीमत और आपूर्ति कि गयी मात्रा सीधे संबंधित होती है।

आपूर्ति वक्र[संपादित करें]

आपूर्ति वक्र [2] , उत्पाद की कीमत और उत्पाद की मात्रा के बीच के सम्बन्ध को दिखती है , जो एक विक्रेता उपलब्ध कर सकती है और तैयार है। आपूर्ति वक्र में प्रदान कि गई मात्रा क्षैतिज रेखा मे दिखाया जाता है और कीमत लम्ब रेखा मे दिखाया जाता है।

संचलन एवं बदलाव[संपादित करें]

आपूर्ति वक्र मे बदलाव

आपूर्ति वक्र मे संचलन[3] तब होता है जब उत्पाद के कीमत मे परिवर्तन आता है।उत्पाद के कीमत पर बदलाव आने के कारण वक्र विस्तृत एवं संकुचित हो सकता है । आपूर्ति वक्र मे बदलाव इसलिए आता है क्योकि माल के कीमत के अलावा जो कारके है वे उसको प्रभावित करती है । इन अन्य करको मे बदलाव आने के कारण वक्र मे विस्तार और संकुचन होता है।

आपूर्ति कि मूल्य सापेक्षता[संपादित करें]

आपूर्ति कि मूल्य सापेक्षता उपलब्द किये जानेवला उत्पाद और उसके कीमत के अनुक्रियाशीलता को केहते है। यह उसके कीमत के आधार पर उपलब्द किये जानेवाले उत्पाद के मात्रा को दिखती है। यह प्रतिशत मे दिखाया जाता है। इसका मतलब है कि, जब उत्पाद के कीमल बदता है तो उसका उत्पादन भी बदता है।इसलिए, उपलब्द किये जानेवाले उत्पाद के मात्रा ओर उसके कीमत सकारात्मक संबंधित है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. https://unacademy.com/course/hindi-class-12-economics-theory-of-supply/APCE8WDZ
  2. http://www.economicsdiscussion.net/hindi/supply-hindi/supply-curve-with-diagram-hindi-commodities-economics/27600
  3. http://www.economicsdiscussion.net/hindi/supply-hindi/extension-and-contraction-in-the-supply-of-commodities-hindi-economics/27595