सदस्य:Advika.goenka/घूमर

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राजस्थान का पारंपरिक नृत्य


परिचय[संपादित करें]

घूमर राजस्थान का पारंमपरिक नृत्य है जिसे महिलाएँ प्रदर्शन करती हैं। स्त्रियाँ एक बड़ा सा घेरा बनाकर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत करती है। इस लोक नाच की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि महिलाएँ रंगीन वस्त्र पहनती है। घूँघट होने के पश्चात भी वे बड़ी शुद्धता के साथ नाचती हैं। काफ़ी लम्बी अवधि से चलती आई यह प्रथा ने विश्व भर मे प्रसिद्ध हो गया है। भिल समुदाय का वैशिष्टय रूप - घूमर अब अन्य समुदाय जैसे राजपूत, मे उत्साह से प्रदर्शित किया जाता है। ज़्यादातर यह नृत्य महिलाओं उन्मुख होता है परंतु प्रदर्शन के साथ ही साथ पुरूष भी गाना गाकर समारोह मे चार चाँद लगाते है। यह नृत्य शैली मे सत्रीयो का दर्पन का काम करे हुए घाघरा पहनती है जो राजसथान का सबसे बड़ा धरोहर है।

घूमर का इतिहास[संपादित करें]

घूमर का उत्पादन " घूमने" शब्द से हुआ है। पारंपरिक रूप का पदोन्नत भिल समुदाय जो राजस्थान के पहले सभ्यता मे से एक ने किया था। मारवाड़ जो वर्तमान काल मे जोधपुर के नाम से जाना जाता है, घूमर की मातृभूमि है। वहाँ के संप्रदाय, वर्षा ऋतु , होली तथा दिवाली जैसे शुभ पर्वों के आगमन का उल्लास नाच के द्वारा व्यक्त करती थी । इस कला की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें पुरुष भी सुंदर मुदराँए बनाकर और हथेलियों से अवाज़े निकालकर शोभा बड़ाते। महिलाओं कि वेष भूषा - छनियाँ चोली जो बहुत आकर्षक रंगो कि होती और गहने , चाँदी या कुंदन के होते है। आज कल , घूमर केवल शादियाँ मे किया जाता है और सत्रीयाँ ही भाग लेती है। समय के साथ इसका महत्व बड़ता गया और उपरांत शाही महिलाँए भी इसे पेश करने लगी। इतिहास इसका कारण यह बताता है कि कचछवाह वंशीय ने भिल समुदाय को पराजित कर दिया था अथवा राजपूतों की संस्कृति मे घूमर ने अपना विशेषिय स्थान बना लिया। [1]

घूमर से जुड़े क्षेत्र[संपादित करें]

परंपरा के अनुसार से यह सांस्कृतिक नाच राजस्थान के उदयपुर , कोटा-बुंदी और जोधपुर क्षेत्रों मे अधिक विख्यात है। गुजरात राजस्थान के निकट होने के कारण , घूमर मे गरबा के लक्षण दिखाए पड़ते है। पश्चिमी संस्कृति के बड़ते बोल बाले के वज़ह से भारतीय नृत्यों का मान कम हो रहा है। [2] नई पिढियो को यह सब मन भावुक नहीं लगता है जिससे इनका मंचन होना बंध हो गया है। मारवाड़ी सभ्यता मे जिस घूमर का इतना गहरा महत्व था उसे अब कोई जानता नहीं है।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. http://www.indianetzone.com/18/ghoomer_dance_rajasthan.htm
  2. http://www.utsavpedia.com/cultural-connections/ghoomar-of-marwar-inspiring-indian-dressing-for-centuries/